बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल ने प्रवर्तन निदेशालय ED की कार्रवाई और अपनी गिरफ्तारी को असंवैधानिक बताते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने खारिज कर दिया है।
चैतन्य बघेल ने ईडी की ओर से की गई जांच, गिरफ्तारी को नियम विरुद्ध और असंवैधानिक बताते हुए रद्द करने की मांग की थी। इस मामले में जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की सिंगल बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 24 सितंबर को फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे अब सुनाया गया है। कोर्ट ने कहा कि, जांच और गिरफ्तारी पर हस्तक्षेप करने का कोई उचित आधार नहीं है। कोर्ट ने माना कि ईडी की कार्रवाई कानून के तहत की गई है। इसलिए इसमें न्यायालय को हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है। इस मामले में ईडी की ओर से एडवोकेट सौरभ पांडेय ने पैरवी की।
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ED का आरोप; चैतन्य को 16.70 करोड़ रुपए मिले
शराब घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चैतन्य बघेल को भी आरोपी बनाया है। आरोप है कि शराब घोटाले की रकम से चैतन्य को 16.70 करोड़ रुपए मिले हैं। शराब घोटाले से मिले ब्लैक मनी को रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में इन्वेस्ट किया गया। साथ ही 1000 करोड़ रुपए की हैंडलिंग (हेराफेरी) की गई है।
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ब्लैक मनी को किया व्हाइट
ED ने अपनी जांच में पाया कि, चैतन्य बघेल के विठ्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट (बघेल डेवलपर्स) में घोटाले के पैसे को इन्वेस्ट किया गया है। इस प्रोजेक्ट से जुड़े अकाउंटेंट के ठिकानों पर छापेमारी कर ED ने रिकॉर्ड जब्त किए थे। प्रोजेक्ट के कंसल्टेंट राजेन्द्र जैन ने बताया कि, इस प्रोजेक्ट में वास्तविक खर्च 13-15 करोड़ था। जबकि रिकॉर्ड में 7.14 करोड़ ही दिखाया गया। जब्त डिजिटल डिवाइसेस से पता चला कि, बघेल की कंपनी ने एक ठेकेदार को 4.2 करोड़ कैश पेमेंट किया, जो रिकॉर्ड में नहीं दिखाया गया।
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ED की जांच में सामने आई ये बातें
- चैतन्य बघेल के दो फर्मों को भिलाई के सराफा कारोबारी से 5 करोड़ मिले, शराब घोटाले से कैश मिला।
- 4.5 करोड़ का बकाया भुगतान बिना ब्याज के पड़ा है-जिससे कैश डीलिंग की पुष्टि होती है।
- भिलाई के ज्वेलर्स ने बघेल के प्रोजेक्ट में 80 लाख के 6 प्लॉट खरीदे ।
- लक्ष्मीनारायण बंसल उर्फ पप्पू ने कहा- उसने चैतन्य बघेल के साथ मिलकर 1000 करोड़ से ज्यादा कैश हैंडल किया, जो शराब घोटाले से आया था।
- बंसल के मुताबिक वह यह पैसा अनवर ढेबर से लेकर दीपेंद्र चावड़ा के जरिए चैतन्य बघेल की मदद से रामगोपाल अग्रवाल और केके. श्रीवास्तव तक पहुंचाता था।
- बघेल डेवलपर्स की ‘विठ्ठल ग्रीन’ प्रोजेक्ट में शराब घोटाले की रकम से कैश भुगतान हुआ।
- कंपनी के खातों में केवल 2.62 करोड़ दिखाया गया, लेकिन असल खर्च 13-15 करोड़ था।
- प्रोजेक्ट कंसल्टेंट ने बताया कि अकाउंट में लागत जानबूझकर कम दिखाई गई और नकद भुगतान शिवम कंस्ट्रक्शन को किया गया।
- प्रोजेक्ट में 4.2 करोड़ कैश पेमेंट की पुष्टि डिजिटल डिवाइस की जांच में हुई।
- त्रिलोक सिंह ढिल्लो ने अपने कर्मचारियों के नाम पर 5 करोड़ देकर ‘बघेल डेवलपर्स’ से 19 फ्लैट खरीदे – जो ED
- ED ने बघेल के पास शराब घोटाले से सीधे 16.70 करोड़ की ब्लैक मनी होने की पुष्टि की है।
- ED का आरोप है कि चैतन्य बघेल ने घोटाले की रकम को ‘प्रोजेक्ट’ में डालकर उसे लीगल दिखाने की कोशिश की।
चैतन्य बघेल तक ऐसे पहुंची ED
प्रवर्तन निदेशालय ED के वकील सौरभ पाण्डेय ने बताया था कि शराब घोटाले का जो इन्वेस्टिगेशन चल रहा था उसमें एविडेंस मिले हैं, जिसमें चैतन्य बघेल ने बहुत सारे पैसे को लेयरिंग की है। 1000 करोड़ का लेनदेन किया है। पप्पू बंसल ने अपने बयान में खुलासा किया है।
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शराब के घोटालों के पैसों को चैनलाइज्ड करके चैतन्य बघेल तक पहुंचाया जाता था। लिकर स्कैम का पैसा अनवर ढेबर के जरिए दीपेंद्र चावड़ा फिर वह पैसा केके श्रीवास्तव और कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल औ उसके बाद चैतन्य बघेल के पास यह पैसा पहुंचता था। शराब घोटाले में जिन लोगों का इन्वॉल्वमेंट है उन लोगों के आपस में कनेक्शन है। अनवर ढेबर से मोबाइल चैट और रिकॉर्डिंग मिली है। चैतन्य बघेल तक पैसा पहुंचाया गया है।








