Bilaspur High Court: दिव्यांग आरक्षण को लेकर बिलासपुर हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच का महत्वपूर्ण फैसला आया है। बेंच ने कहा कि दिव्यांगों के आरक्षण का निर्णय राज्य सरकार या फिर नियुक्तिकर्ता प्राधिकारी तय कर सकते हैं। पद व दिव्यांगों के कैटेगरी तय करने का अधिकार इन दोनों को है।
बिलासपुर। बिलासपुर हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने दिव्यांग आरक्षण को लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। बेंच ने कहा कि दिव्यांगजनों के लिए पद व कैटेगरी तय करने का अधिकारी राज्य सरकार व नियुक्तिकर्ता प्राधिकारी को है। किस पद के लिए किस श्रेणी के दिव्यांग का चयन करना है यह अधिकार इनके पास सुरक्षित है।
सहायक प्राध्यापक भर्ती में दृष्टिहीन व कम दृष्टि वाले उम्मीदवारों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी। याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में हुई। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने कहा कि किस पद के लिए और किस कैटेगरी के दिव्यांग को नियुक्ति देनी है यह नियोक्ता बेहतर ढंग से तय करता है। बेंच ने यह भी कहा कि चयन प्रक्रिया पूरी होने की स्थिति में असफल होने की स्थिति में कोई उम्मीदवार रोस्टर या आरक्षण प्रक्रिया को चुनौती नहीं दे सकता। इस महत्वपूर्ण व्यवस्था के साथ डिवीजन बेंच ने याचिका को खारिज कर दिया है।
0 कामर्स के 184 सहायक प्राध्यापकों के लिए निकला था विज्ञापन
सीजीपीएससी ने वर्ष 2019 में सहायक प्राध्यापक के 1384 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था। अन्य विषयों के साथ ही वाणिज्य विषय के लिए 184 पद जारी किया था। ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तारीख 5 मार्च 2019 तय की गई थी। 23 फरवरी 2019 को आयोग ने एक शुद्धिपत्र जारी कर शारीरिक रूप से दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए पदों की संख्या में संशोधन कर दिया।
रायगढ़ निवासी सरोज क्षेमनिधि ने नवंबर 2020 में आयोजित लिखित परीक्षा पास की। रिटर्न टेस्ट क्लीयर करने के बाद इंटरव्यू के लिए काल किया। अंतिम चयन सूची में उनका नाम नहीं आया। हाई कोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि सीजीपीएससी ने कॉमर्स विषय में दृष्टिहीन और अल्प दृष्टि वाले अभ्यर्थियों को 2 प्रतिशत आरक्षण उपलब्ध का प्रावधान किया था। प्रावधान के अनुसार सीजीपीएससी ने सुविधा का लाभ नहीं दिया। याचिकाकर्ता ने कॉमर्स में असिस्टेंट प्रोफेसर के बैकलॉग पदों पर दृष्टिहीन और अल्प दृष्टिहीन उम्मीदवारों के लिए आरक्षण व्यवस्था लागू करने के लिए शुद्धिपत्र जारी करने की मांग की। याचिकाकर्ता ने इस कैटेगर के लिए आरक्षित किए गए पदों पर भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने डिवीजन बेंच को बताया कि कॉमर्स विषय के 1384 पदों में से 2 प्रतिशत आरक्षण दृष्टिहीन व अल्प दृष्टि वाले अभ्यर्थियों को दिया जाना था, लेकिन सीजीपीएससी ने ऐसा नहीं किया। याचिकाकर्ता ने दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 का हवाला देते हुए कहा कि यह दिव्यांजन अधिकार अधिनियम का सीधेतौर पर उल्लंघन है।
0 कॉमर्स विषय में यह संभव ही नहीं
राज्य सरकार की ओर से पैरवी करते हुए एडवोकेट जनरल आफिस के अफसरों ने डिवीजन बेंच के समक्ष पैरवी करते हुए कहा कि आटर्स फैकल्टी में दृष्टिबाधित उम्मीदवारों के लिए पद रिर्जव रखा गया है। कॉमर्स और साइंस जैसे फैकल्टी में व्यवहारिक रूप से यह संभव नहीं है।








