CG News EWS Scam :– फर्जी EWS प्रमाण पत्र के जरिए मेडिकल कालेज में एडमिशन लेने वाली तीनों स्टूडेंट्स के खुलासे के बाद तहसीलदार कार्यालय के स्टाफ पर संदेह गहराने लगा है। सरकारी कर्मचारियों के अलावा आउट साेर्सिंग स्टाफ के कामकाज को लेकर भी उंगली उठने लगी है। सवाल यह भी उठ रहा है कि स्थाई कर्मियों के बजाय अफसरों ने आउट सोर्सिंग कर्मियों पर कैसे और किस लिहाज से भरोसा किया। बहरहाल जांच कमेटी इस पूरे मामले की जांच कर रही है।
बिलासपुर। फर्जी EWS प्रमाणपत्र के जरिए मेडिकल कालेज में एडमिशन का मामला अब और भी गहराते जा रहा है। फर्जी सर्टिफिकेट को लेकर जिस तरह सवाल उठ रहे हैं कमोबेश कुछ इसी तरह तहसीलदार कार्यालय के स्टाफ और अफसरों पर भी उंगलियां उठने लगी है। कार्यालय से फर्जी सर्टिफिकेट बनाकर देना और फर्जी सील सिक्का लगाना अचरज की बात है। राजस्व से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेजों के चोरी होने से लेकर गोपनीयता को लेकर भी अब सवाल उठने लगा है। तीनों स्टूडेंट्स ने तहसीलदार को दिए बयान में बताया कि उन तीनों ने तहसीलदार कार्यालय में दस्तावेज जमाकर सर्टिफिकेट बनवाया है। ऑनलाइन आवेदन करने के बाद प्रमाणपत्र तहसील कार्यालय से ही जारी हुआ था। ये नहीं पता कि सील सिक्का किसने लगाया और हस्ताक्षर किसने किया। अगर यह फर्जी है तो तहसीलदार कार्यालय की जिम्मेदारी है। हमने जो दस्तावेज मांगे गए थे सभी उपलब्ध करा दिया था।
0 दलालों के जरिए फर्जीवाड़ा की आशंका
ऑनलाइन आवेदन सम्मिट होने के बाद भी तहसील कार्यालय में फाइलों का नाम मिलना आश्चर्य की बात है। यह बात भी सामने आ रही है कि कहीं दलालों के माध्यम से तो सर्टिफिकेट नहीं बनवाए गए। सवाल यह भी कि आवेदन अगर शासकीयी कामकाज के जरिए तय मापदंडों के आधार पर जमा हुआ होता तो रजिस्टर में रिकार्ड तो रहता ही है। रजिस्टर में रिकार्ड नहीं है इसका मतलब दलालों के जरिए यह सब फर्जीवाड़ा किया गया है।
शैक्षणिक सत्र 2025-26 में मेडिकल कालेज में एडमिशन के लिए तीन छात्रों ने ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट जमा किया था। चिकित्सा शिक्षा आयुक्त कार्यालय रायपुर ने सात स्टूडेंट्स के डाक्यूमेंट्स वेरिफिकेशन के लिए भेजा। तीन छात्राओं के आवेदन तहसील रिकॉर्ड में मौजूद ही नहीं थे।








