दिल्ली। सहारा इंडिया सहित सहारा समूह में धनराशि जमा करने वाले निवेशकों के लिए अच्छी खबर है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह की कोऑपरेटिव सोसाइटियों के जमाकर्ताओं का बकाया चुकाने के लिए, सहारा समूह द्वारा भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) में जमा धनराशि में से 5,000 करोड़ रुपये की नई किश्त जारी करने की अनुमति दी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने यह आदेश दिया। साथ ही, मार्च 2023 के आदेश और आज के आदेश के तहत निवेशकों को राशि वितरण की समयसीमा 31 दिसंबर, 2026 तक बढ़ा दी गई।
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SEBI की ओर पैरवी करते हुए अधिवक्ता ने इसके लिए समय की मांग की। इस पर डिवीजन बेंच ने कहा यह सहमति से पारित आदेश नहीं है। बेंच ने इसके साथ ही आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। बेंच ने कहा कि मार्च 2023 में भी इसी तरह 5,000 करोड़ रुपये जारी करने का आदेश दिया गया था, जबकि उस समय “सहारा–SEBI रिफंड अकाउंट” में करीब 24,979.67 करोड़ रुपये अनुपयोगी पड़े थे। वर्तमान आदेश के बाद अब 5,000 करोड़ रुपये SEBI–Sahara Refund Account से निकालकर सेंट्रल रजिस्ट्रार ऑफ कोऑपरेटिव सोसाइटीज़ को ट्रांसफर किए जाएंगे। यह राशि जमाकर्ताओं के बकाये के रूप में वितरित करेगा। यह ट्रांसफर एक हफ्ते के भीतर सुप्रीम कोर्ट पूर्व जज जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी की देखरेख में होगा। यह व्यवस्था सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के आदेश के तहत ही होगा।
पिनाक पाणि मोहंती की दायर जनहित याचिका में मांग की गई थी कि सहारा क्रेडिट फर्मों और अन्य चिटफंड कंपनियों में निवेश करने वाले जमाकर्ताओं को भुगतान कराया जाए। आवेदन में कहा गया कि पहले जारी किए गए 5,000 करोड़ रुपये का वितरण वेब पोर्टल के जरिए किया गया था, जहां असली निवेशकों से दावे लिए गए और पहचान, सत्यापन और भुगतान की पूरी प्रक्रिया जस्टिस रेड्डी की देखरेख में हुई।
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5.43 करोड़ निवेशकों ने 1,13,504.124 करोड़ रुपये का दावा किया है। इनमें से 26,25,090 असली जमाकर्ताओं को 5,053.01 करोड़ रुपये लौटाए जा चुके हैं। इसी दौरान 13,34,994 और निवेशकों ने लगभग 27,849.95 करोड़ रुपये का दावा किया है, जो अलग-अलग चरणों में जांच के अधीन हैं।








