बेमेतरा। छत्तीसगढ़ सरकार के विद्या शिक्षा एप के उपयोग की अनिवार्यता को लेकर अब विवाद गहराने लगा है। स्कूल शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव के निर्देशों का शिक्षक संगठनों के पदाधिकारी खुलकर विरोध नहीं कर पा रहे हैं अंतर्विरोध के बीच बेमेतरा जिले के एक हेड मास्टर का सुर बिगड़ गया है। डीईओ को पत्र लिखकर हेड मास्टर से साफ कहा है दबाव बनाया तो वे हाई कोर्ट में मुकदमा दायर करेंगे।
बेमेतरा जिले में शासकीय प्राथमिक शाला केछवई के हेड मास्टर कमलेश सिंह बिसेन ने DEO को पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ विद्या समीक्षा केंद्र VSK मोबाइल ऐप के उपयोग पर कड़ा ऐतराज जताया है। पत्र में उन्होंने निजता के उल्लंघन, साइबर फ्रॉड के खतरे और निजी मोबाइल के दुरुपयोग का मुद्दा तो उठाया है साथ ही विभाग से जवाब भी मांगा है।
कमलेश सिंह ने पत्र में लिखा कि VSK ऐप के जरिए शिक्षकों और छात्रों की उपस्थिति दर्ज करने का आदेश दिया गया है। यह ऐप निजी मोबाइल में डाउनलोड करना होगा, जिसमें उनकी निजी जानकारी, बैंक डिटेल्स, फोटो और वीडियो जैसी गोपनीय सामग्री सुरक्षित रहती है। हेड मास्टर से डीईओ को लिखे पत्र में अहम सवाल उठाया है। यदि इस ऐप के कारण साइबर फ्रॉड या निजता का उल्लंघन होता है, तो इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा?
हेड मास्टर ने लिखा है, उनका मोबाइल निजी संपत्ति है, जिसे उन्होंने अपने खर्चे से खरीदा और रिचार्ज कराते हैं। शासकीय कार्यों के लिए निजी मोबाइल के उपयोग को उन्होंने अनुचित बताते हुए पूछा कि सेवा नियमावली में इसका उल्लेख कहां है? इसके अलावा, उनके मोबाइल में पहले से ही PM POSHAN, निष्ठा, UDSSE, दीक्षा जैसे कई शासकीय ऐप्स डाउनलोड हैं, जिससे अतिरिक्त बोझ बढ़ रहा है।
हाईकोर्ट जाने की दी चेतावनी
पत्र में कमलेश सिंह ने साफ लिखा है कि यदि उनकी आपत्तियों का समाधान नहीं किया गया, तो वे VSK ऐप का उपयोग करने में असमर्थ रहेंगे। ऐप के उपयोग के लिए दबाव बनाने पर न्यायालय की शरण लेने की चेतावनी भी दी है। उन्होंने लिखा है कि दबाव बनाने की स्थिति में हाई कोर्ट में याचिका दायर करने को बाध्य होंगे, जिसकी जिम्मेदारी विभाग की होगी।
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शिक्षक संगठनों का मिला रहा समर्थन
विभिन्न शिक्षक संगठनों ने हेड मास्टर कमलेश सिंह के इस कदम का समर्थन करते हुए कहा कि पहले विभाग को जरूरी संसाधन मसलन इंटरनेट, कंप्यूटर और लैपटॉप उपलब्ध कराने चाहिए, फिर इस तरह के नियम लागू करने चाहिए। शिक्षक संगठनों ने इसे शिक्षकों के अधिकारों का हनन बताया और मांग की कि बिना उचित व्यवस्था के ऑनलाइन कार्यों का दबाव न बनाया जाए। प्रदेश शिक्षक फेडरेशन के अध्यक्ष राजेश चटर्जी ने कहा कि शिक्षा विभाग अपने ही कर्मचारियों पर सवाल उठा रहा ह। अगर कुछ पर्सेटेज उपस्थिति कम है तो उन पर कार्रवाई की जाए, जो शत-प्रतिशत सेवा दे रहे हैं, उनके लिए मुसीबत है।









