बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की राजनीति और कारोबारी जगत में हलचल मचाते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुक्रवार तड़के बिलासपुर में बड़ी कार्रवाई की। मीनाक्षी ट्रेडर्स से जुड़े सुल्तानिया ब्रदर्स के निवास और उनके कारोबारी प्रतिष्ठानों समेत कई संभावित ठिकानों पर एक साथ दबिश दी गई। सुबह-सुबह पुलिस बल के साथ पहुँची ईडी की टीम फिलहाल दस्तावेजों की गहन छानबीन कर रही है।
तड़के ही हुई बड़ी कार्रवाई
शुक्रवार की सुबह जब लोग अपने रोज़मर्रा के कामकाज में व्यस्त होने की तैयारी कर रहे थे, तभी अचानक क्रांतिनगर इलाके में ईडी अफसरों और पुलिस की मौजूदगी से हलचल मच गई। यहां सुल्तानिया ब्रदर्स का निवास है, जहां सबसे पहले टीम ने दस्तक दी। इसके साथ ही मीनाक्षी ट्रेडर्स के दफ्तर और अन्य कारोबारी ठिकानों पर भी एक साथ छापेमारी शुरू की गई।
सूत्रों के मुताबिक, ईडी अफसर अपने साथ कई बक्से और बैग लेकर आए हैं जिनमें जब्त किए जाने वाले दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण रखे जा रहे हैं। स्थानीय लोग भी सुबह से घर के बाहर की हलचल को देख रहे हैं और चर्चा कर रहे हैं कि आखिर इतनी बड़ी कार्रवाई के पीछे वजह क्या है।
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कोयला व्यापार से जुड़े दस्तावेज़ों की तलाश
ईडी की इस कार्रवाई को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। माना जा रहा है कि छापेमारी का मुख्य मकसद कोयला कारोबार से जुड़े वित्तीय लेन-देन और दस्तावेज़ों को इकट्ठा करना है। बीते कुछ समय से ईडी छत्तीसगढ़ में कोयला और परिवहन से जुड़े मामलों की जांच कर रही है, और बिलासपुर की यह कार्रवाई उसी कड़ी का हिस्सा बताई जा रही है। चर्चा यह भी है कि ईडी सिर्फ सुल्तानिया ब्रदर्स तक सीमित नहीं है। इस कार्रवाई में अन्य व्यापारियों और कुछ राजनीतिक चेहरों के भी घेरे में आने की संभावना जताई जा रही है।
एक साथ कई ठिकानों पर दबिश
जानकारी के अनुसार, केवल निवास और संस्थान ही नहीं बल्कि सुल्तानिया ब्रदर्स से जुड़े अन्य ठिकानों पर भी ईडी अफसरों ने अपनी टीम तैनात की है। सुबह से अलग-अलग गाड़ियों में पहुँचे अधिकारी घरों, दफ्तरों और गोदामों में कागजात खंगाल रहे हैं। पड़ोसियों का कहना है कि टीम ने सुबह से ही घर के अंदर किसी को बाहर नहीं निकलने दिया। वहीं, अधिकारियों की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
कारोबारी और राजनीतिक हलकों में हड़कंप
बिलासपुर में हुई इस छापेमारी ने कारोबारियों और राजनीतिक दलों में बेचैनी बढ़ा दी है। शहर में यह चर्चा ज़ोरों पर है कि ईडी की यह कार्रवाई आने वाले समय में बड़े खुलासे कर सकती है। सूत्र बताते हैं कि एजेंसी के पास पहले से ही कई महत्वपूर्ण इनपुट हैं, जिन्हें पुख्ता करने के लिए यह छापेमारी की गई है। स्थानीय स्तर पर इस बात को लेकर भी अटकलें हैं कि ईडी की जांच की जद में सिर्फ मीनाक्षी ट्रेडर्स ही नहीं, बल्कि कोयला व्यापार से जुड़े अन्य बड़े कारोबारी और राजनीतिक रसूखदार लोग भी आ सकते हैं।
अब आगे क्या?
ईडी की टीमें अभी भी ठिकानों पर मौजूद हैं और कार्रवाई देर रात तक जारी रह सकती है। जांच एजेंसी इस बात का पता लगाने में जुटी है कि कारोबार के नाम पर कितने पैसे का हेरफेर हुआ और इसमें किन-किन की भूमिका रही। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ईडी को ठोस सबूत मिलते हैं तो न सिर्फ आर्थिक गड़बड़ी बल्कि मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत भी गंभीर धाराओं में मामला दर्ज हो सकता है।
पढ़िए क्या है छत्तीसगढ़ का कोल स्कैम
ED का दावा है कि छत्तीसगढ़ में कोयला घोटाला किया गया है। सिंडिकेट बनाकर 570 करोड़ की वसूली का दावा किया है। इस मामले में 36 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। ED का आरोप है कि कोयले के परिचालन, ऑनलाइन परमिट को ऑफलाइन करने समेत कई तरीकों से करीब 570 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध वसूली की गई है।
छत्तीसगढ़ में अवैध कोल लेवी वसूली का मामला ईडी की रेड में सामने आया था। कोल परिवहन में कोल व्यापारियों से वसूली करने के लिए ऑनलाइन मिलने वाले परमिट को ऑफलाइन कर दिया गया था। खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक आईएएस समीर विश्नोई ने 15 जुलाई 2020 को इसके लिए आदेश जारी किया था। यह परमिट कोल परिवहन में कोल व्यापारियों से लिया जाता है। पूरे मामले का मास्टरमाइंड किंगपिन कोल व्यापारी सूर्यकांत तिवारी को माना गया। जो व्यापारी पैसे देता उसे ही खनिज विभाग से पीट और परिवहन पास जारी होता था। यह रकम 25 रुपए प्रति टन के हिसाब से सूर्यकांत के कर्मचारियों के पास जमा होती थी।
कोल स्कैम से स्कैम कर कुल 570 करोड़ रुपए की वसूली की गई।
पूर्व मंत्रियों, विधायकों सहित 36 पर एफआईआर
छत्तीसगढ़ में कोयला घोटाले में ED की रिपोर्ट पर ACB, EOW ने दो पूर्व मंत्रियों, विधायकों सहित 36 लोगों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज की है। जिस पर अब ACB की टीम जांच कर रही है।
निलंबित IAS रानू साहू की 24 प्रॉपर्टी
FIR के अनुसार, 2015 से 2022 तक करीब 4 करोड़ की अचल संपत्ति खुद और परिवार के सदस्यों के नाम।
2022 में आयकर विभाग ने रानू साहू के सरकारी निवास और दफ्तर में छापा मारा। इसके बाद ED ने रानू साहू के घर छापा मारा था। कोरबा कलेक्टर रहते कोल लेवी में घोटाले और आय से ज्यादा संपत्ति का आरोप।
सौम्या चौरसिया की 29 अचल संपत्ति
पूर्व CM की उप सचिव रही सौम्या चौरसिया 2008 बैच की राज्य प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं। सौम्या नगर निगम बिलासपुर, अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) पाटन और कई शासकीय पदों पर रहीं हैं। दिसम्बर 2019 से नवम्बर 2022 तक मुख्यमंत्री कार्यालय में उप सचिव के पद पर थीं। सौम्या चौरसिया और परिवार के नाम 9.20 करोड़ की संपत्ति की पुष्टि EOW ने की।
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