बिलासपुर। बिलासपुर हाई कोर्ट ने संपत्ति विवाद और उत्तराधिकारी को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि अगर बेटा जिंदा है तो मृत पिता की संपत्ति का उत्तराधिकारी बेटा होगा। पिता की संपत्ति की उत्तराधिकारी बेटी नहीं हो सकती।
Also Read – गोवंश की मौत को लेकर चीफ सिकरेट्री से मांगा जवाब
सम्पत्ति विवाद और उत्तराधिकारी को लेकर हाई कोर्ट ने कहा कि बेटा जीवित है तब ऐसी स्थिति में बेटी मृत पिता की संपत्ति की उत्तराधिकारी नहीं बन सकती। जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास के सिंगल बेंच ने कहा कि पुत्र की अनुपस्थिति में पुत्री ऐसी संपत्ति पर अपना अधिकार जता सकती है। कोर्ट ने कहा, पुरुष की स्व-अर्जित संपत्ति भी केवल उसके पुरुष वंशज को हस्तांतरित होती है। पुरुष वंशज के अभाव में ही वह अन्य उत्तराधिकारियों को हस्तांतरित होती है। उत्तराधिकार कानून के अनुसार, पुरुष की स्व-अर्जित संपत्ति उसके पुरुष वंशज को हस्तांतरित होती है और केवल पुरुष वंशज के अभाव में ही वह अन्य उत्तराधिकारियों को हस्तांतरित होती है।
Also Read – GAD ने जारी किया छुट्टी का आदेश
सरगुजा जिले के मामले में निचले कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में द्वितीय अपील प्रस्तुत की गई। पीठ ने अपील स्वीकार कर ली। कोर्ट के समक्ष प्रमुख प्रश्न यह था कि यदि विभाजन 1956 से पहले हुआ हो तो अपीलकर्ता को उत्तराधिकारी के रूप में संपत्ति प्राप्त करने का अधिकार होगा या नहीं। शिकायत का अवलोकन करने के बाद कोर्ट ने रेखांकित किया कि याचिका में अपीलकर्ता के पिता की मृत्यु के वर्ष का कहीं भी उल्लेख नहीं है। हालांकि प्रतिवादी ने अपने लिखित बयान में स्पष्ट रूप से यह दलील दी कि अपीलकर्ता के पिता का निधन वर्ष 1950-51 में हुआ था। कोर्ट ने पाया कि अपीलकर्ता ने इस दलील का विरोध नहीं किया। इसके अतिरिक्त, एक गवाह की गवाही पर भी भरोसा किया गया, जिसने कहा था कि अपीलकर्ता के पिता की मृत्यु साठ वर्ष पहले हो गई थी।
Also Read – DOUBLE MURDER CASE: भतीजा निकला कातिल, रिश्ते के मामा भी साझेदार








