बिलासपुर से रायपुर राष्ट्रीय राजमार्ग और पेंड्रीडीह बाईपास से नेहरू चौक तक की सड़कों की बदहाल स्थिति को देखते हुए हाई कोर्ट इस पर स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई प्रारंभ की है। पीआईएल की सुनवाई जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में हो रही है। पिछले सुनवाई में सड़क की खराबी स्थिति पर नाराजगी जताते हुए मरम्मत और पुनर्निर्माण के आदेश जारी किया था।
मामले की दोबारा सुनवाई के दौरान सड़कों के निर्माण और मेंटनेंस में अपेक्षित प्रगति नहीं होने पर चीफ जस्टिस नाराज हो गए। उन्होंने कहा कि 5 साल से आप लोग केवल सड़कों की स्टडी कर रहे हैं और इधर लोग जान गंवा रहे हैं। राज्य सरकार के अधिवक्ताओं ने जब बताया कि सड़क की स्थिति का अध्ययन करने के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। सर्वे और सॉयल टेस्ट Soil Test का काम एनआईटी NIT रायपुर को सौंपा गया है। तब चीफ जस्टिस भड़क गए और कहा कि आप तो 5 साल तक केवल अध्ययन ही करते रहेंगे तब तक लोग, क्या अपनी जान गंवाते रहे। ऐसे में आदमी करेगा क्या।
चीफ जस्टिस ने कहा हमारे पिछले आदेश का मतलब सिर्फ सड़कों की साफ-सफाई और रंगी पुताई नहीं थी, बल्कि इसमें हुए गड्ढे और बदहाल सड़कों की वास्तविक मरम्मत और पुनर्निर्माण था। पैचवर्क और पेंटिंग से समस्या हल नहीं होगी। पूरी सड़क को नए सिरे से बनाना होगा।
सड़कों को दोबारा बनाने में क्या दिक्कतें आ रही है, क्यों नहीं बन पा रही सड़कें
चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान तल्खी दिखाते हुए पूछा कि आखिर सड़कों के मरम्मत और पुनर्निर्माण की दिशा पर अब तक कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाए गए। सड़क की खराब हालत से जनता की जान को खतरा है, इसलिए सरकार को इस पर तत्काल एक्शन लेते हुए कार्रवाई करनी होगी और सड़क निर्माण करवाना होगा। चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर सड़क भी हमें ही बनवानी पड़े तो फिर आप लोग क्या कर रहे हैं। लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। इसलिए आपको तत्काल इस पर कार्यवाही करनी होगी।
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि सड़क का नवीनीकरण तुरंत शुरू किया जाए और इसके लिए जिम्मेदारी तय किया जाए। ऐसा नहीं होने पर अदालत इस मामले में आदेश जारी करेगी।








