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गोवंश की मौत को लेकर चीफ सिकरेट्री से मांगा जवाब
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बिलासपुर। बिलासपुर जिले के बेलतरा व सुकलकारी में गोवंश की मौत के सम्बंध में मीडिया रिपोर्ट को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के रूप में सुनवाई प्रारंभ की है। डीविजन बेंच ने चीफ सिकरेट्री के अलावा प्रमुख सचिव, पशुपालन और पशु चिकित्सा सेवाएं को नोटिस जारी कर व्यक्तिगत शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। बता दें कि हाई कोर्ट में अभी दीपावली अवकाश चल रहा है. मामले कि गंभीरता को देखते हुए चीफ जस्टिस ने छुट्टी के दिन हाई कोर्ट खुलवाया और जनहित याचिका की सुनवाई की.

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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बिलासपुर ज़िले के मस्तूरी ब्लॉक के बेलतरा और सुकुलकारी क्षेत्र में मवेशियों की लगातार मौत हो रही है। अस्थायी रूप से रखे गए स्थान पर गायों की उचित व्यवस्था, भोजन, पानी और चिकित्सा के अभाव में मौत हो रही है। स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, बेलतरा में एक दर्जन से ज़्यादा और सुकुलकारी में 4 गायों की मौत हो चुकी है। पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारी इस बारे में अनभिज्ञ हैं। शासन-प्रशासन गायों के संरक्षण के लिए रोज़ाना योजनाओं का क्रियान्वयन कर रहा है। इस बीच, विभाग पर निष्क्रियता और संवेदनहीनता के आरोप लग रहे हैं।

बड़ी संख्या में गायों की मौत की खबर ने पशु चिकित्सा विभाग की उदासीनता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि गायों को दलदली और कीचड़ भरे इलाके में रखा गया था। स्थानीय लोगों का यह भी आरोप है कि लगभग 10 दिन पहले मवेशियों के उचित प्रबंधन और देखभाल, और पर्याप्त भोजन-पानी के अभाव में एक दर्जन से ज़्यादा गायों की मौत हो गई।

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ग्रामीणों का आरोप है कि अधिकारी इतनी बड़ी घटना के प्रति असंवेदनशील दिखाई देते हैं क्योंकि वे घटनास्थल पर पहुँचते तो हैं, लेकिन औपचारिक जाँच करके लौट जाते हैं। किसी ने भी वास्तविक कारणों की जाँच नहीं की है। इतनी बड़ी संख्या में मवेशियों की अचानक हुई मौतों को यूँ ही मान लिया जाता है। पशु चिकित्सा विभाग की घोर लापरवाही इस त्रासदी का मुख्य कारण है। मरने वाले ज़्यादातर जानवर न तो बूढ़े थे और न ही पहले से बीमार थे, जिससे लोगों में यह संदेह पैदा हो गया है कि ये मौतें कुप्रबंधन के कारण हुईं।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बेलतरा और सुकुलकारी में लगातार हो रही मवेशियों की मौतें न केवल विभागीय विफलता है, बल्कि मानवीय संवेदनाओं पर गहरा आघात है। जब गौ सेवा के नाम पर योजनाएँ बनाई जा रही हों, तो यह लापरवाही विभाग पर सवाल खड़े करने वाली है। विभाग के इस रवैये से ग्रामीणों में रोष बढ़ रहा है। लोगों का कहना है कि सरकार गौ रक्षा और गौ सेवा की बात तो करती है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर स्थिति बिल्कुल अलग है। मवेशियों के लिए न तो भोजन की व्यवस्था है और न ही चिकित्सा की।

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जनहित याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीड़ी गुरु की डीविजन बेंच में हुई। कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया मीडिया रिपोर्ट से पशु चिकित्सा विभाग और संबंधित स्थानीय प्राधिकारियों की ओर से गंभीर प्रशासनिक चूक का पता चलता है, जिस पर राज्य प्शासन को तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। कोर्ट ने प्रमुख सचिव, पशुपालन और पशु चिकित्सा सेवाएं विभाग, छत्तीसगढ़ सरकार को नोटिस जारी कर व्यक्तिगत हलफनामा के साथ जवाब मांगा है।

ये हैं प्रमुख पक्षकार

  • छत्तीसगढ़ राज्य मुख्य सचिव।
  • प्रमुख सचिव पशुपालन एवं पशु चिकित्सा सेवाएं विभाग।
  • पशु चिकित्सा सेवाएं निदेशालय।
  • डायरेक्टर छत्तीसगढ़ राज्य पशु चिकित्सा परिषद, रायपुर।
  • कलेक्टर बिलासपुर जिला बिलासपुर।

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