बिलासपुर। जमीन विवाद से जुड़े खासकर सीमांकन विवाद के मामलों को लेकर हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि सीमांकन विवाद से जुड़े मामलों के लिए कमिश्नर की नियुक्ति जरुरी है। निचली अदालत के फैसले को रद्द करते हुए हाई कोर्ट ने निचली अदालत को याचिकाकर्ता के जमीन के सीमांकन के लिए कमिश्नर की नियुक्ति करने का आदेश दिया है। बता दें कि सिविल जज क्लास टू ने दो भाइयों के मामले को निरस्त कर दिया था। सिविल जज के फैसले को चुनौती देते हुए दो नाबालिग भाइयों ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की है।
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के तखतपुर गनियारी के दो नाबालिग भाइयों लोकेश कुमार व हेमंत कुमार ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अपनी संपत्ति के गांव के ही लोगों द्वारा अतिक्रमण कर मकान बनाने की शिकायत की जानकारी दी है। अतिक्रमणकारियों से अपने स्वामित्व की जमीन को मुक्त कराने और जमीन वापस दिलाने की गुहार नाबालिग भाइयों ने हाई कोर्ट से की है। याचिकाकर्ता भाइयों ने अपनी याचिका में बताया है कि पिता ने 24 मार्च 2017 को खोरबाहरा साहू से दो लाख रुपए में जमीन खरीदी थी। रजिस्टर्ड सेल डीड के बाद जमीन नामांतरण की प्रक्रिया नियमानुसार की गई है। राजस्व दस्तावेजों में भूमि स्वामी के रूप में उनके पिता का नाम दर्ज है। पिता की मृत्यु के बाद हम दोनों भाइयों को जमीन का स्वामित्व व कब्जा मिला। याचिकाकर्ता भाइयों ने बताया कि उनके स्वामित्व वाली जमीन में गांव के गौतम प्रसाद, जनक राम, सुरेश साहू समेत अन्य ने जमीन के एक हिस्से पर बलपूर्वक कब्जा कर लिया है। कब्जा करने के बाद अब मकान व आंगन का निर्माण शुरू कर दिया है। याचिकाकर्ता भाइयों ने अपनी याचिका में कहा है कि कब्जाधारियों से बेदखली की मांग करते हुए सीपीसी के आदेश 26 नियम 9 के तहत स्थानीय आयुक्त की नियुक्ति की मांग करते हुए निचली अदालत में आवेदन पेश किया था। याचिकाकर्ता ने बताया कि उनकी मांग को निचली अदालत ने बिना ठोस कारण बताए खारिज कर दिया है।
हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिया हवाला
मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया है। हरियाणा वक्फ बोर्ड बनाम शांति स्वरूप मामले में दिए फैसले का हवाला देते हुए कहा कि जब विवाद जमीन के सीमांकन से जुड़ा हो तो आयुक्त की नियुक्ति जरूरी हो जाती है। निचली अदालत के आदेश को त्रुटिपूर्ण मानते हुए हाई कोर्ट ने निरस्त कर दिया है। हाई कोर्ट ने निचली अदालत को निर्देशित किया है कि याचिकाकर्ता के जमीन के सीमांकन विवाद के निपटारा के लिए कमिश्नर की नियुक्ति करे।








