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रिजर्व फार आर्डर के फैसलों में देरी देशभर के हाई कोर्ट के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया गाइड लाइन
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दिल्ली। झारखंड हाई कोर्ट ने क्रिमिनल अपील पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित Reserve For Order रख लिया। तीन साल तक फैसला नहीं आया। अपीलकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व फार आर्डर के मामले में देशभर के हाई कोर्ट के लिए जरुरी दिशा निर्देश जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर अमल होते ही सब-कुछ साफ-साफ दिखाई देने लगा है। पढ़िए फैसला सुरक्षित रखे जाने के बाद सुनाए जाने वाले फैसले के संबंध में कोर्ट ने क्या गाइड लाइन जारी किया है।

फैसला सुरक्षित रखने के बाद कोर्ट द्वारा फैसला सुनाने में हो रहे विलंब को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी के साथ ही हैरानी भी जताई है। झारखंड हाई कोर्ट ने क्रिमिनल मामले की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। तीन साल बाद भी कोर्ट ने आदेश नहीं सुनाया। इसे लेकर अपीलकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए देशभर के हाई कोर्ट के लिए जरुरी गाइड लाइन जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट के ताजा निर्देश के बाद अब छत्तीसगढ़ सहित देशभर के हाई कोर्ट को सुनाए जाने वाले फैसलों की एक-एक जानकारी अपलोड करनी होगी। सुप्रीम कोर्ट के डिवीजन बेंच के निर्देश पर गौर करें तो रिजर्व फार आर्डर के मामले में फैसला सुनाते वक्त हाई कोर्ट को फैसला सुरक्षित रखने, रिजर्व फार आर्डर में फैसला सुनाने और इसे वेबसाइट पर अपलोड करने की तिथियों का साफ-साफ उल्लेख करना होगा।

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मसलन हाई कोर्ट की बेंच ने किस मामले में कब फैसला सुरक्षित रखा, रिजर्व फार आर्डर के कितने दिनों बाद अपना फैसला सुनाया और इसे कब वेबसाइट पर अपलोड किया। अलग-अलग और साफ-साफ तारीखों का उल्लेख करना होगा। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की डिवीजन बेंच ने अपने आदेश में देशभर के हाई कोर्ट को दिशा निर्देशों के परिपालन के लिए चार सप्ताह का डेडलाइन जारी किया है। चार सप्ताह के भीतर नए दिशा निर्देशों के तहत जानकारी अपलोड करनी होगी। डिवीजन बेंच ने हाई कोर्ट को चार सप्ताह के भीतर अपनी मौजूदा सिस्टम और प्रारूप में संशोधन करने का निर्देश दिया है।


सब-कुछ ट्रांसपरेंसी
सुप्रीम कोर्ट के डिवीजन बेंच ने कहा कि देशभर के हाई कोर्ट को अपनी मौजूदा पद्धति व प्रारूप में जरुरी व उचित संशोधन करना होगा। बेंच ने यह भी कहा कि संशोधन के पीछे की मंशा साफ है, इससे कोर्ट ने किस तिथि में फैसला सुरक्षित रखा, रिजर्व फार आर्डर के कितने दिनों बाद फैसला सुनाया, वेबसाइट पर फैसले को किस दिन अपलोड किया गया। यह सब साफ-साफ देखा जा सकेगा।

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अगर फैसला इस पर सुनाया तो पांच दिन के भीतर देनी होगी जानकारी
रिजर्व फार आर्डर के मामले में हाई कोर्ट को यह भी जानकारी देनी होगी, रिजर्व फार आर्डर में फैसला केवल कार्यकारी भाग की थी या फिर पूरा निर्णय सुनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है, कार्यकारी भाग का ही निर्णय सुनाया जाता है, इसमें पांच दिनों के भीतर कारणों का उल्लेख भी करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने जरुरी डेडलाइन तय कर दिया है।


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