बिलासपुर। चीफ सिकरेट्री ने खाद्य सुरक्षा प्रोटोकाल जारी करते हुए जरुरी दिशा निर्देश जारी किया है। जारी पत्र में साफ लिखा है कि निर्देशों का परिपालन ना करने की स्थिति में कार्रवाई भी तय की जाएगी। बता दें कि 17 सितंबर को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में चीफ सिकरेट्री को एमडीएम की गुणवत्ता और बच्चों की सुरक्षा को लेकर राज्य सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की जानकारी देनी है। डिवीजन बेंच ने चीफ सिकरेट्री से इस संबंध में शपथ पत्र के साथ जवाब मांगा है। चीफ सिकरेट्री ने प्रिंसिपल सिकरेट्री से लेकर प्रदेशभर के कलेक्टर,एसपी व आला अफसरों को लिख में पत्र में डिवीजन बेंच के निर्देश का उल्लेख करते हुए लिखा है, पिछले कुछ दिनों में ऐसी घटनाएं सामने आयी है जिसमें शालेय छात्रों के मध्यान्ह भोजन पकाने एवं भोजन परोसने में असावधानियां बरती गयी है जिससे छात्रों की सुरक्षा तथा स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता था । इस संबंध में जनहित याचिका हाई कोर्ट द्वारा 26 अगस्त 2025 को पारित आदेशमें सावधानी तथा सुरक्षा बरतने के संबंध में निर्देश दिये गये है।
एमडीएम की गुणवत्ता और बच्चों की सुरक्षा को लेकर सीएस ने जारी किया गाइड लाइन
- खाद्य सुरक्षा प्रोटोकाल.
भोजन परोसने से पहले शिक्षकों, वार्डन द्वारा प्रतिदिन चखना और प्रमाणन।
शिक्षक और रसोइये द्वारा हस्ताक्षरित “चखने का रजिस्टर’ का रखरखाव ।
- रसोई और भंडारण स्वच्छता.
रसोईघरों और भण्डार कक्षों का निरीक्षण नियमित अंतराल पर नामित अधिकारियों द्वारा किया जायेगा।
रसायन (जैसे फिनाइल, कीटनाशक, डिटर्जेंट, कैरोसिन) को खाद्य भंडारण और खाना पकाने के क्षेत्रों से दूर अलग से संग्रहित किया जाना चाहिए। अनाज, दालों, तेलों और सब्जियों के लिए ताले और सीलबंद कंटेनर।
- . पर्यवेक्षण और जवाबदेही.
स्कूलों/छात्रावासों/आंगनबाड़ी केंद्रों में खाद्य सुरक्षा की निगरानी के लिए प्रत्येक जिले में एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति।
चूक के लिए प्रधानाध्यापक / प्रधानाचार्य / वार्डन की व्यक्तिगत जवाबदेही तय करना।
- सुरक्षा एवं प्रवेश नियंत्रण.
खाना पकाने के दौरान और बाद में रसोई परिसर में अनधिकृत व्यक्तियों के प्रवेश पर प्रतिबंध।
आवासीय विद्यालयों/ बड़े छात्रावासों के रसोई और भोजन क्षेत्रों में यथासंभव सीसीटीवी कैमरे लगाना। इसमें उपलब्ध स्थानीय विभिन्न मद का भी उपयोग कर सकते है। औचक निरीक्षण ।
- प्रशिक्षण एवं जागरूकता.
भोजन सुरक्षा, स्वच्छता और रसायनों के संचालन पर रसोइयों, सहायकों और कर्मचारियों को नियमित प्रशिक्षण ।
शिक्षकों और कर्मचारियों को संदिग्ध गतिविधि की तुरंत रिपोर्ट करने के लिए जागरूक करना।
- चिकित्सा तैयारी.
सभी छात्रावासों / विद्यालयों में प्राथमिक चिकित्सा किट और बुनियादी विषहर औषधियाँ उपलब्ध करायी जाए।
आपातकालीन चिकित्सा सहायता के लिए निकटतम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र / सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के साथ गठजोड़ किया जाए।
खाद्य विषाक्तता की स्थिति में आपातकालीन प्रतिक्रिया पर मॉक ड्रिल की जाए।
- समुदाय और अभिभावकों की भागीदारी.
राज्य सरकार के द्वारा सभी शालाओं में पालक शिक्षक बैठक आयोजित किये जा रहे है, उक्त बैठकों में खाद्य सुरक्षा के लिए अभिभावक शिक्षक निगरानी समिति का गठन कर नियमित अंतराल पर समीक्षा किया जाए ।
- आपराधिक जवाबदेही.
जानबूझकर भोजन को दूषित करने की किसी भी घटना की तुरंत पुलिस को सूचना दी जाए और आईपीसी/बीएनएस के संबंधित प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज की जाए।
- . रिपोर्टिंग तंत्र.
खाद्य गुणवत्ता/सुरक्षा संबंधी खामियों की सूचना देने के लिए एक राज्य स्तरीय हेल्पलाइन या शिकायत तंत्र।
हर घटना की, चाहे वह कितनी भी छोटी क्यों न हो, जिला शिक्षा अधिकारी और कलेक्टर को अनिवार्य रूप से रिपोर्ट करना।
- नियमित ऑडिट और समीक्षा.
खाद्य सुरक्षा अधिकारियों द्वारा मध्याह्न भोजन/छात्रावास खाद्य योजनाओं का त्रैमासिक /अर्धवार्षिक / वार्षिक स्वतंत्र लेखा ऑडिट।- इन अफसरों को सौंपी जिम्मेदारी
. प्रमुख सचिव, छत्तीसगढ़ शासन, आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग.
. सचिव, छत्तीसगढ़ शासन, स्कूल शिक्षा विभाग.
. सचिव, छत्तीसगढ़ शासन, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग,
. छत्तीसगढ़ शासन, महिला एवं बाल विकास विभाग,
. सचिव, समस्त संभागायुक्त, छत्तीसगढ़
. समस्त कलेक्टर, छत्तीसगढ़
. समस्त पुलिस अधीक्षक, छत्तीसगढ़
- इन अफसरों को सौंपी जिम्मेदारी
पाकेला पोटाकेबिन की घटना के बाद जारी हुआ प्रोटोकाल, हाई कोर्ट में पीआईएल पर चल रही सुनवाई
सुकमा जिले के पाकेला आवासीय पोटाकेबिन स्कूल में यह घटना 21 अगस्त 2025 को घटित हुई बताई गई है। 21 अगस्त, 2025 की रात को एक घटना घटी जिसमें 426 छात्रों के लिए पकाई गई सब्जियों में फिनाइल मिला हुआ पाया गया। सरकार द्वारा यह शर्त रखी गई है कि खाना परोसने से पहले शिक्षकों को उसे चखना होगा, इसलिए जैसे ही एक शिक्षक ने सब्ज़ी चखी, फिनाइल की तेज़ गंध आई, जिससे सभी हैरान रह गए। आवासीय विद्यालय के अधीक्षक के अनुसार, 426 छात्रों के लिए रात के खाने में कुल 48 किलो बींस की सब्जी पकाई गई । अगर गंध का पता नहीं चलता, तो उन सभी छात्रों की जान जा सकती थी। फिनाइल एक रासायनिक पदार्थ है। यह एक कीटाणुनाशक और फर्श क्लीनर है। जिसका उपयोग फर्श, शौचालय और नालियों जैसी सतहों की सफाई, कीटाणुशोधन और दुर्गन्ध दूर करने के लिए किया जाता है। यह मनुष्यों के लिए ज़हरीला है। इसकी एक बूंद भी मनुष्यों, खासकर छोटे बच्चों के लिए घातक हो सकती है। सुकमा के कलेक्टर ने तुरंत घटना की जांच के आदेश दिए। सब-डिवीज़नल मजिस्ट्रेट SDM, एक डीएमसी और एक एपीसी की टीम गठित की। एक छात्र ने एक व्यक्ति को गमछे से अपना चेहरा ढके हुए देखा, जो सब्जी में कुछ मिला रहा था।
सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने जताई थी नाराजगी
इस घटना की भयावहता स्तब्ध करने वाली है। अगर छात्रों ने दूषित भोजन खाया होता, तो यह कल्पना से परे होता। इससे उनके माता-पिता और परिवारों के जीवन पर क्या कहर बरपा होता। आवासीय विद्यालय व्यवस्था में अपना विश्वास रखते हैं और मानते हैं कि उनके बच्चों की देखभाल उनके अपने बच्चों की तरह की जाएगी। अगर ऐसी घटना का तुरंत पता नहीं चलता, तो समाज का यह विश्वास टूट सकता था कि छात्र स्कूलों में सुरक्षित हैं। यद्यपि कलेक्टर, सुकमा ने पहले ही मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। हम राज्य अधिवक्ता को निर्देश देते हैं कि वे जांच रिपोर्ट इस न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करें। उपरोक्त कृत्य न केवल लापरवाही का कार्य है, बल्कि एक आपराधिक कृत्य भी है, जिसने छात्रों के जीवन को दांव पर लगा दिया है। यह गंभीर चिंता का विषय है कि इस प्रकार की घटनाएं बार-बार हो रही हैं। जहां छात्रों, छोटे बच्चों के उपभोग के लिए बनाया गया भोजन या तो अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों में तैयार किया जाता है या कुत्तों या अन्य जानवरों द्वारा गंदा, दूषित किया जाता है। इसी भोजन बच्चों को उनकी जान जोखिम में डालकर परोसा जाता है।
बच्चों की सुरक्षा व भोजन की गुणवत्ता को लेकर कोर्ट ने मुख्य सचिव को जारी किया निर्देश
छत्तीसगढ़ राज्य के सचिव, रायपुर को निर्देश दिया गया है कि वे भोजन, खाद्य पदार्थ तैयार करने या परोसने में शामिल सभी हितधारकों को उचित निर्देश जारी करें, चाहे वे स्कूल, छात्रावास, आंगनबाड़ी केंद्र या ऐसे अन्य स्थान हों जहां छोटे बच्चों,छात्रों को भोजन दिया जाता है। भोजन को स्वच्छ वातावरण में और स्वास्थ्यकर तरीके से पकाया जाए तथा सभी आवश्यक सावधानियां बरती जाए। वह किसी भी प्रकार के रासायनिक पदार्थों से दूषित न हो, या जानवरों द्वारा गंदा न हो, कीड़ों आदि से संक्रमित न हो। थोड़ी सी भी लापरवाही बच्चों के जीवन के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती है, जिससे राज्य और प्रशासन को गंभीर शर्मिंदगी उठानी पड़ सकती है।
खाद्य सुरक्षा प्रोटोकाल काे लेकर डिवीजन बेंच ने दिया निर्देश
- खाद्य सुरक्षा प्रोटोकॉल
भोजन परोसने से पहले शिक्षकों/वार्डन द्वारा दैनिक रूप से चखना और प्रमाणन करना।
शिक्षक और रसोइये द्वारा हस्ताक्षरित “चखने का रजिस्टर” का रखरखाव।
- रसोई और भंडारण स्वच्छता
रसोईघरों और भण्डार कक्षों का निरीक्षण नियमित अंतराल पर नामित अधिकारियों द्वारा किया जाएगा।
- चिकित्सा तैयारी
सभी छात्रावासों, विद्यालयों में प्राथमिक चिकित्सा किट और बुनियादी दवाएं उपलब्ध होंगी।
आपातकालीन चिकित्सा सहायता के लिए निकटतम पीएचसी, सीएचसी के साथ संपर्क स्थापित करें।
खाद्य विषाक्तता की स्थिति में आपातकालीन प्रतिक्रिया पर मॉक ड्रिल।
- समुदाय और माता-पिता की भागीदारी
खाद्य सुरक्षा के लिए अभिभावक-शिक्षक निगरानी समिति का गठन।
नियमित अंतराल पर अभिभावकों/समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ समीक्षा बैठकें (मासिक,त्रैमासिक व अर्धवार्षिक हो सकती हैं)।
- आपराधिक जवाबदेही
जानबूझकर खाद्य पदार्थों को दूषित करने की किसी भी घटना की तुरंत पुलिस को सूचना दी जाए तथा आईपीसी/बीएनएस के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज की जाए। खाद्य गुणवत्ता,सुरक्षा संबंधी खामियों की रिपोर्ट करने के लिए राज्य स्तरीय हेल्पलाइन या शिकायत तंत्र। प्रत्येक घटना की, चाहे वह छोटी ही क्यों न हो, जिला शिक्षा अधिकारी और कलेक्टर को अनिवार्य रूप से रिपोर्ट करना।
- नियमित लेखा परीक्षा और समीक्षा
खाद्य सुरक्षा अधिकारियों द्वारा मध्याह्न भोजन, छात्रावास खाद्य योजनाओं की त्रैमासिक,अर्धवार्षिक,वार्षिक स्वतंत्र लेखा परीक्षा।
छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्य सचिव द्वारा ऐसे निर्देश जारी करते समय यह भी स्पष्ट किया जाना चाहिए कि जिम्मेदार अधिकारियों की ओर से किसी भी प्रकार की चूक को बहुत गंभीरता से लिया जाएगा तथा उन्हें छात्रों के लिए भोजन तैयार करने और परोसने के दौरान अधिक सतर्क और सावधान रहना चाहिए।








