बिलासपुर। भिलाई स्टील प्लांट के कर्मचारी की याचिका को स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट ने तलाक की मंजूरी दे दी है। शादी के 47 साल बाद पति पत्नी का तलाक हो रहा है। हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले पर मुहर लगा दी है।
पति ने फैमिली कोर्ट में क्रूरता और परित्याग के आधार पर तलाक के लिए आवेदन पेश किया था। बताया था कि 1978 को हुई शादी के बाद पत्नी वर्ष 1987 से झगड़ा करने के साथ ही गाली गलौच करती है। घर का काम भी नहीं करती है। पत्नी ने कई बार मारपीट भी की। वर्ष 2010 से पति-पत्नी एक ही घर में अलग-अलग कमरे में रहते हैं। पत्नी का आरोप है कि उल्टा पति उनके साथ शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना देते हुए उनका खाना पीना रोक देता था। घर में अलग कमरा बनवा कर उसे बंद कर दिया था। हाई कोर्ट ने पाया कि इतने लंबे समय से अलग रहना और विवाद मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है। पति को एक मुश्त 10 लाख रुपए मुआवजा पत्नी को देने के साथ हाई कोर्ट ने तलाक की मंजूरी दे दी है।
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बिलासपुर हाई कोर्ट ने 47 साल पुराने वैवाहिक रिश्ते को समाप्त करने के फैमिली कोर्ट के आदेश पर अंतिम मुहर लगा दी है। हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के तलाक के आदेश को बरकरार रखते हुए पत्नी लीला वर्मा को एकमुश्त 10 लाख गुजारा भत्ता देने का निर्देश पति हीरालाल को दिया है।
भिलाई स्टील प्लांट के कर्मचारी की महिला के साथ 20 अप्रैल 1978 को मध्यप्रदेश के रीवा जिले के मऊगंज तहसील में हिंदू रीति से शादी हुई थी। उनके तीन बच्चे हैं। याचिकाकर्ता को 1995 में भिलाई स्टील प्लांट में नौकरी मिली और परिवार सेक्टर-5 भिलाई में रहने लगा। पति ने फैमिली कोर्ट में क्रूरता और परित्याग के तहत तलाक की अर्जी लगाई थी। आरोप लगाया कि पत्नी वर्ष 1987 से झगड़ा करती थी, गाली देती थी और घर का काम करने से मना करती थी। कई बार पत्नी और बच्चों ने मारपीट भी की। हालात इतने बिगड़े कि पुलिस तक शिकायत करनी पड़ी। 2010 से दोनों एक ही घर में अलग-अलग कमरों में रह रहे थे। पति ने आरोप लगाया कि वर्ष 2017 में पत्नी ने उसे ही घर से निकाल दिया।
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पत्नी ने आरोपों को ठहराया गलत
पत्नी ने कहा कि उल्टा पति ही उनके साथ शारीरिक और मानसिक अत्याचार करता था। खाने-पीने तक से रोक देता था। घर में अलग कमरा बनवाकर उसे बंद कर दिया और भरण-पोषण भी रोक दिया। बाद में पति खुद ही घर छोड़कर चला गया और अब झूठे आरोप लगा रहा है।
अब दोनों का साथ रहना संभव नहीं
जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच ने पाया कि दोनों 2010 से अलग रह रहे हैं और अब साथ रहना संभव नहीं। हाई कोर्ट ने कहा कि इतने लंबे समय से अलग रहना और लगातार विवाद, मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है। इस आधार पर हाई कोर्ट ने तलाक को बरकरार रखते हुए आदेश दिया कि पति अपनी पत्नी दस लाख एकमुश्त गुजारा भत्ता के रूप में दें। कोर्ट ने कहा कि यह राशि पत्नी के भविष्य और भरण-पोषण के लिए पर्याप्त होगी।
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