रायपुर। छत्तीसगढ़ के शिक्षकों व शिक्षक नेताओं के बीच बीते दो दिनों से एक ही चर्चा चल रही है। एक दूसरे को वाट्सएप ग्रुप के अलावा मोबाइल के जरिए पूछ रहे हैं। आपने सूची देखी क्या है। वाकई यह ओरिजिनल सूची है जो वायरल कर दिया गया है क्या। अगर ऐसा है तो फिर यह सब किसने और क्यों किया होगा। ट्रांसफर लिस्ट वायरल कराने वालों को क्या नुकसान हो रहा था,जो अब फायदा हो रहा है। इन सवालों के बीच एक बड़ा सवाल तैर रहा है। सिस्टम की गोपनीयता और विश्वसनीयता पर।
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पूरे 14 पेज की ट्रांसफर सूची सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर गुरुवार से तेजी के साथ वायरल हो रही है। वायरल हो रही सूची के बीच स्कूल शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों पर गंभीर सवाल भी उठाए जा रहे हैं। शिक्षकों के वाट्सएप ग्रुप पर वायरल तबादले सूची को लेकर कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी दिखाई दे रही है। जिन लोगों के नाम इस सूची में शामिल है,उसे लेकर भी कमेंट्स पास किए जा रहे हैं। जिन नामों को लेकर उम्मीद थी,वायरल सूची में नाम को देखकर ट्रांसफर सूची को ठीक बता रहे हैं। ऐसे भी शिक्षक और संगठन के पदाधिकारी हैं जिनको कुछ नामों को देखकर रास नहीं आ रहा है। इन नामों को लेकर सवाल भी उठा रहे हैं। बहरहाल स्कूल शिक्षा विभाग की इस सूची को लेकर चर्चा का दौर तो जारी है साथ ही अब पक्ष-विपक्ष में बातें भी होने लगी है। स्वाभाविक बात है कुछ नामों पर एतराज तो अधिकांश नामों को लेकर सहमति भी नजर आ रही है। सहमति,असहमति के बीच सवाल यह उठ रहा है,आखिर सूची वायरल कैसे हो गई। सिस्टम को जानने और समझने वाले भी अचरज में है कि इतनी गोपनीय दस्तावेज जो आमतौर पर कांफिडेंशियल होता है,आखिर लीक कैसे हुई और किसने यह सब करने का काम किया। सिस्टम की गोपनीयता और कामकाज के तरीके को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। जाहिर सी बात है कि आने वाले दिनों में जिम्मेदारों पर इस लापरवाही का ठिकरा भी फूटेगा।
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वायरल सूची पर उठ रहे सवाल
साेशल मीडिया प्लेटफार्म पर वायरल हो रही सूची ने विभाग से जुड़े उन लोगों की धड़कनें बढ़ा दी है जो सैद्धांतिक रूप से कहें या फिर संगठनात्मक नजरिए से, एक दूसरे के मतभिन्नता रखते हैं। ऐसे नामों को सूची में देखकर एक खेमे का धड़कनें भी बढ़ने लगा है। चर्चा भी हो रही है कि वायरल सूची अगर सही निकल गई तब क्या होगा। सवाल यह भी हो रहा है कि तब क्या नए सिरे से सामंजस्य और समीकरण बैठाना होगा। बहरहाल तबादला सूची के वायरल होने के बाद शिक्षकों और शिक्षक संगठनों के बीच टाकिंग पाइंट से लेकर हाट टाॅपिक बना हुआ है।
वायरल ट्रांसफर लिस्ट की प्रमाणिकता को लेकर CIVIL INDIA कोई दावा नहीं करता है।








