बिलासपुर। बेलतरा विधानसभा क्षेत्र के युवा विधायक सुशांत शुक्ला ने नवरात्रि के अवसर पर अपनी विशेष “ध्वज यात्रा” निकालकर 40 गाँवों का दौरा पूरा किया। इस यात्रा को धार्मिक रंग में रंगा गया, लेकिन इसके राजनीतिक मायने भी गहरे माने जा रहे हैं। ग्रामीणों से सीधा संवाद, आस्था को मजबूती और धर्मांतरण के मुद्दे पर मिशनरियों को सख्त संदेश… यह सब कुछ इस यात्रा का केंद्र बिंदु रहा।
पहली बार सत्तारूढ़ दल के विधायक की पदयात्रा
भाजपा की सत्ता वापसी के बाद यह पहली बार है जब पार्टी के किसी विधायक ने अपने क्षेत्र में इस तरह की लंबी धार्मिक पदयात्रा का आयोजन किया। नवरात्रि जैसे पावन पर्व पर यह कदम उठाना, ग्रामीणों के बीच धर्म और संस्कृति के साथ-साथ राजनीति की ज़मीन मजबूत करने का प्रयास माना जा रहा है। सुशांत शुक्ला ने कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के साथ मिलकर हिंदू जागरण की अलख जगाने का प्रयास किया। यात्रा में शामिल लोगों का कहना था कि यह सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि जनता और प्रतिनिधि के बीच विश्वास मजबूत करने का जरिया भी है।
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धर्मांतरण पर सख्त रुख
हाल के समय में बिलासपुर और आसपास के क्षेत्रों में ईसाई मिशनरियों की सक्रियता बढ़ी है और कई बार धर्मांतरण को लेकर विवाद की स्थितियाँ बनी हैं। पुलिस तक को एफआईआर दर्ज करनी पड़ी है। इस पृष्ठभूमि में सुशांत शुक्ला की यात्रा को धर्मांतरण के खिलाफ सीधी चेतावनी माना जा रहा है। यात्रा के दौरान उन्होंने लगातार ग्रामीणों से कहा कि सनातन धर्म और परंपराओं को मजबूत करना ही हमारी सुरक्षा की गारंटी है। उनके इस संदेश को सीधे तौर पर मिशनरियों की गतिविधियों पर अंकुश लगाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
दिग्गज नेताओं की मौजूदगी
यात्रा के अलग-अलग पड़ाव पर भाजपा के दिग्गज नेता भी शामिल हुए। केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू, डिप्टी सीएम अरुण साव, वरिष्ठ विधायक धरमलाल कौशिक और धर्मजीत सिंह ने शुक्ला की अगुवानी की। यह न सिर्फ धार्मिक आयोजन रहा बल्कि शक्ति प्रदर्शन का मंच भी बन गया। खमतराई बगदाई मंदिर तक पहुँची यात्रा ने माहौल को पूरी तरह राजनीतिक बना दिया। भीड़, नारों और नेताओं की मौजूदगी ने यात्रा को महज़ आस्था से कहीं आगे बढ़ा दिया।
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40 गाँवों में रात्रि विश्राम और चौपाल
यात्रा के दौरान विधायक शुक्ला ने छह प्रमुख गाँवों – कोरबी, उच्चभट्ठी, पौंसरा, नगोई, मोपका और कोनी – में रात्रि विश्राम किया। यहाँ उन्होंने चौपाल लगाई और ग्रामीणों से घंटों सीधी बातचीत की। आदिवासी, ओबीसी और एससी बाहुल्य इन इलाकों में शुक्ला ने धर्मांतरण के खतरों पर चेताया और सनातन परंपरा से जुड़े रहने की अपील की। गाँवों में रात गुजारने और भोजन साझा करने से वे सीधे ग्रामीणों के बीच अपनी जगह बनाने में सफल रहे।

35 हजार लोगों तक सीधा पहुँच
पूरी यात्रा के दौरान विधायक शुक्ला ने लगभग 35 हज़ार ग्रामीणों से व्यक्तिगत संपर्क किया। कार्यकर्ताओं और समर्थकों से भी मुलाकात हुई, जो सामान्यत: कामकाज के कारण उनसे नहीं मिल पाते। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह यात्रा सिर्फ धार्मिक जागरण नहीं बल्कि राजनीतिक रणनीति का भी हिस्सा थी। कमजोर बूथों और ऐसे गाँवों को यात्रा में शामिल किया गया, जहाँ पार्टी का प्रदर्शन पहले कमजोर रहा है। आस्था और संवाद के सहारे संगठन को मजबूत करने का प्रयास साफ तौर पर दिखाई दिया।
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जशपुर नरेश की छाया
सुशांत शुक्ला को राजनीति में स्वर्गीय जशपुर नरेश दिलीप सिंह जूदेव का समर्थक माना जाता है। जूदेव ने “घर वापसी” अभियान चलाकर धर्मांतरण विरोध की अलख जगाई थी। उनकी यही छवि अब सुशांत शुक्ला में झलक रही है। ध्वज यात्रा ने यह साफ कर दिया कि वे भी मिशनरी गतिविधियों को सीधी चुनौती देने के लिए मैदान में हैं। सुशांत शुक्ला की यह ध्वज यात्रा धार्मिक भावनाओं को जगाने के साथ-साथ राजनीतिक तौर पर भी बेहद अहम रही। यह यात्रा सिर्फ आस्था तक सीमित नहीं रही, बल्कि ग्रामीणों से सीधा जुड़ाव और मिशनरियों को स्पष्ट संदेश देने का प्रयास भी था।
विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह ने सुशांत को दी फोन पर शुभकामना
विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह ने विधायक सुशांत शुक्ला को ध्वजा यात्रा की अभूतपूर्व सफलता पर फोन पर बधाई दी. उन्होंने सुशांत शुक्ला से कहा ध्वजा यात्रा पूरे नवरात्रि काल में प्रदेश भर में चर्चा का विषय बनी रही जिस तरह से आपने गांव गली और मोहल्लों की पैदल चल कर शक्तिपीठों की दुर्गम यात्रा की अत्यंत ही उल्लेखनीय कदम है इससे आपके भीतर की क्षमता और साहस के अद्वितीय क्षमता का परिचय मिलता है और आभास दिलाता है कि बेलतरा का यह युवा नेतृत्व अपने पुरुषार्थ के बल पर विकास की एक नई गाथा लिखेगा प्रदेश को एक नई दिशा देगा.








