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हाई कोर्ट के आदेश पर हुआ अमल: चिकित्सा शिक्षा विभाग ने बीएससी नर्सिंग की काउंसलिंग 26 अक्टूबर तक बढ़ाई
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बिलासपुर। हाई कोर्ट के आदेश के परिपालन में चिकित्सा शिक्षा विभाग ने बीएससी नर्सिंग की काउंसलिंग 26 अक्टूबर तक बढ़ा दी है। gnm पाठ्यक्रम से बीएसी नर्सिंग में अपग्रेड हुऐ 13 महाविद्यालयों ने हाई कोर्ट बिलासपुर में सीट कम करने के के राज्य शासन के निर्णय के खिलाफ याचिका दायर की थी। कोर्ट के निर्देश के बाद इंडियन नर्सिंग काउंसिल ने भी नर्सिंग पाठ्यक्रमों की प्रवेश तिथि 31 अक्टूबर से बढ़ाकर 30 नवंबर कर दी है। अवकाज़ह के दिन जस मामले की हाई कोर्ट में सुनवाई हुई थी।

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जीएनएम से बीएससी नर्सिंग पाठ्यक्रम में अपग्रेड हुए महाविद्यालयों को षड्यंत्रपूर्वक काउंसलिंग से बाहर रखने की एकतरफा कार्रवाई को आज अवकाश के दिन बैठी विशेष न्यायालय ने आदेश करते हुए काउंसलिंग कमेटी एवं आयुक्त चिकित्सा शिक्षा को फटकार लगाई है। कोर्ट ने इन कॉलेजों में काउंसलिंग के बाद होने वाले प्रवेश को फैसले से बाधित रखा है। नवंबर 2025 के अंतिम सप्ताह में सुनवाई के लिए याचिका को लिस्टिंग करने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में जीएनएम से अपग्रेड हुए महाविद्यालयों एवं सीटों को तुरंत प्रभाव से काउंसलिंग में शामिल करने का आदेश दिया है। अनियमितता के चलते बीएससी नर्सिंग पाठ्यक्रम की कॉउंसललिंग को 26 अक्टूबर तक बढ़ा दिया गया है ताकि विद्यार्थियों को इन महाविद्यालय को चुनने का मौका मिल सके।

याचिकाकर्ता संदीपनी अकादमी की ओर से अधिवक्ता अनुराग दयाल श्रीवास्तव ने अर्जेंट हियरिंग की मांग करते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि बी.एससी. (नर्सिंग) पाठ्यक्रम चलाने के लिए प्रवेश क्षमता सक्षम प्राधिकारी अर्थात छत्तीसगढ़ नर्सेज रजिस्ट्रेशन काउंसिल द्वारा ‘छत्तीसगढ़ उपचरिका प्रसाविका, सहाय उपचरिका प्रसाविका तथा स्वास्थ्य परिदर्शक पंजीयन अधिनियम, 1972’ की धारा 24 के अंतर्गत अपने आदेश 04।सितंबर 2025 के तहत अनुमोदित और स्वीकृत की गई है। उन्होंने आगे तर्क दिया कि राज्य शासन ने कानूनी अधिकार के बिना और याचिकाकर्ताओं के कॉलेजों को सुनवाई का अवसर दिए बिना मनमाने ढंग से काउंसलिंग की प्रक्रिया के दौरान सीटें कम कर दी है। आयुक्त, चिकित्सा शिक्षा और काउंसलिंग समिति के अध्यक्ष की कार्रवाई मनमानी और अवैध है।

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राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता ने तर्क दिया कि सक्षम प्राधिकारी द्वारा कुछ शर्तों के अनुसार मान्यता और संबद्धता प्रदान की गई थी, जिन्हें याचिकाकर्ताओं के महाविद्यालयों द्वारा पूरा नहीं किया गया है, इसलिए आयुक्त, चिकित्सा शिक्षा और काउंसलिंग समिति के अध्यक्ष ने यह आदेश पारित किया है। उन्होंने इस संबंध में विस्तृत उत्तर प्रस्तुत करने का अनुरोध किया।

न्यायालय द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या सक्षम प्राधिकारी द्वारा याचिकाकर्ताओं के कॉलेजों को कोई कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। सरकारी वकील ने उत्तर दिया कि उन्हें आज इस तथ्य की जानकारी नहीं है। उन्होंने आगे तर्क दिया कि उन्हें प्राप्त निर्देश के अनुसार, काउंसलिंग की अंतिम तिथि 26 अक्टूबर 2025 तक बढ़ा दी जाएगी। याचिकाकर्ताओं के कॉलेजों से संबद्धता प्रदान की जा चुकी है और उन्हें काउंसलिंग के दौरान याचिकाकर्ताओं के कॉलेजों में शेष सीटों को शामिल करने पर कोई आपत्ति नहीं है।

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याचिका की सुनवाई जस्टिस अरविंद वर्मा के सिंगल बेंच में हुई। बेंच ने अपबे फैसले में लिखा है कि मामले के तथ्यों और संबंधित पक्षों के वकील द्वारा प्रस्तुत प्रस्तुतिकरण पर विचार करते हुए, इस तथ्य को देखते हुए कि काउंसलिंग समिति के अध्यक्ष ने अपने आदेश 04.सितंबर 2025 के तहत शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए याचिकाकर्ताओं के कॉलेजों को तय मानदंडों जे आधार पर मान्यता और अनुमोदन प्रदान किया है और याचिकाकर्ताओं के कॉलेजों, संस्थानों को संबद्धता प्रदान की है।

पिछले वर्ष यानी 2024-2025 के शैक्षणिक वर्ष में, काउंसलिंग समिति ने उसी प्रवेश क्षमता को मंजूरी दी है जो सीजीएनआरसी और विश्वविद्यालय द्वारा अनुमोदित थी। कोर्ट ने राज्य शासन को निर्देश जारी करते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं के कॉलेज, संस्थान की शेष सीटों को अनंतिम रूप से शामिल करें। यह केवल याचिकाकर्ताओं के कॉलेज संस्थान के लिए इस याचिका के अंतिम परिणाम के अधीन रहेगा। मामले को सुनवाई के लिए कोर्ट ने नवंबर 2025 के अंतिम सप्ताह में लिस्टिंग करने का निर्देश दिया है।

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