बिलासपुर. मानसिक दिव्यांग पुत्र और उसके पिता की नगर निगम की दुकानों की शुक्रवार को होने वाली नीलामी पर जस्टिस अरविन्द वर्मा के सिंगल बेंच ने रोक लगा दी है. याचिकाकर्ता धीरज पाण्डेय ने अधिवक्ता सलीम काज़ी, फैज़ काज़ी के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की है.
हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता पुत्र और पिता को आदेशित किया है कि वे क्रमशः एक सप्ताह और एक माह के भीतर दुकानों कि सम्पूर्ण राशि नगर निगम को जमा करें और साथ ही नीलामी विज्ञापन के प्रकाशन में होने वाला खर्च भी निगम को अदा करें.
याचिकाकर्ता धीरज पाण्डेय मानसिक दिव्यांग व्यक्ति है जिसका मानसिक चिकित्सालय, सेंदरी में निरंतर इलाज चलता रहता है. धीरज और उसके पिता अनिल पाण्डेय की इमलीपारा स्थित निगम के काम्प्लेक्स में दो दुकाने हैँ. जिसमे पिता पुत्र कबाड़ का व्यापार करते हैँ.
कोरोना काल में निरंतर दुकाने बंद रहने के कारण पिता पुत्र दुकानों का किराया और अन्य देयक निगम को अदा नहीं कर सके. 22 मई, 2025 को नगर निगम ने पिता पुत्र दोनों की दुकानों में ताला जड़ दिया और उनका कबाड़ का सारा सामान भी उठा कर ले गये. याचिकाकर्ताओं के अनेक अभ्यावेदनों का जब नगर निगम पर कोई असर नहीं हुआ तब उन्होंने अधिवक्ता सलीम काज़ी, फैज़ काज़ी के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की.
याचिकाकर्ताओं की और से पैरवी करते हुए अधिवक्ता सलीम काजी ने कहा कि नगर निगम को बकाया देय राशि अदा करने के लिये तैयार हैँ. पर निगम के उच्चधिकारिगण राशि लेने तैयार नहीं हैँ और हठधर्मिता पूर्वक दुकानों की नीलामी करने की कोशिश कर रहे हैँ.
मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता धीरज पाण्डेय के प्रकरण मे दिव्यांगता अधिकार अधिनियम, 2016 के मद्देनजर सहानुभूति पूर्वक कार्य करने निगम को निर्देशदिया है.








