सरगुजा। छत्तीसगढ़ के मैनपाट में सड़क की बदहालीऔर एंबुलेंस की कमी से आदिवासी महिला सोनमती की मौत का मामला अब दिल्ली पहुंच गया है। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग और छत्तीसगढ़ मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
आयोग की नोटिस के बाद एडिशनल कलेक्टर राम सिंह ठाकुर और सीएमएचओ डॉक्टर मार्को दिल्ली आयोग के समक्ष उपस्थित होकर जवाब पेश करने के लिए दिल्ली रवाना हो गए हैं। 17 अक्तूबर को आयोग के समक्ष मामले की सुनवाई होनी है। छत्तीसगढ़ के सरगुजा ज़िले के मैनपाट क्षेत्र से एक बेहद गंभीर और संवेदनशील मामला सामने आया है। यहां सड़क और एंबुलेंस जैसी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में एक आदिवासी महिला सोनमती (उम्र 23 वर्ष, मांझी जनजाति) की प्रसव पीड़ा के दौरान मौत हो गई। इस दर्दनाक घटना ने न केवल इलाके के विकास के दावों पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि प्रशासन की संवेदनहीनता को भी उजागर किया है।
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इस मामले में अब राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अलावा छत्तीसगढ़ राज्य मानव अधिकार आयोग ने सख्त रुख अपनाया है। आयोग ने सरगुजा कलेक्टर से 15 दिनों के भीतर विस्तृत प्रतिवेदन (Action Taken Report) मांगा है और कहा है कि शिकायत में उल्लिखित सभी तथ्यों की जांच कर रिपोर्ट आयोग को प्रस्तुत की जाए। इधर 17 अक्टूबर को दिल्ली में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के सामने मामले की सुनवाई होनी है। जिला प्रशासन को दो आयोग के समक्ष जवाब पेश करना होगा।
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पार्षद आलोक दुबे की शिकायत, आयोग ने लिया संज्ञान
शिकायतकर्ता आलोक दुबे द्वारा आयोग को भेजे गए आवेदन ( 01 अगस्त 2023) में बताया गया है कि मैनपाट क्षेत्र के कई गांव आज़ादी के76 साल बाद भी सड़क और एंबुलेंस सुविधा से वंचित हैं। गर्भवती महिलाओं को प्रसव के समय अस्पताल तक पहुँचने में भारी मुश्किलें होती हैं।
27 जुलाई 2023 को मैनपाट विकासखण्ड के ग्राम पंचायत विसरमनी क्षेत्र में एक महिला को प्रसव पीड़ा हुई। लेकिन गाँव तक सड़क नहीं होने के कारण एंबुलेंस मौके पर नहीं पहुँच पाई। परिजनों ने उसे डोली और बाँस की मदद से अस्पताल पहुँचाने का प्रयास किया। रास्ते की दुर्गमता और समय पर मदद न मिलने से महिला की हालत बिगड़ती चली गई और अंततः उसने दम तोड़ दिया।
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इसी गाँव की एक अन्य महिला सोनमती, जो मांझी जनजाति से थी, की भी अस्पताल न ले जा पाने के कारण मौत हो गई। शिकायत में उल्लेख है कि यह स्थिति मैनपाट के कई अन्य गाँवों में भी है जहाँ न तो सड़क है और न ही एंबुलेंस पहुँच पाती है। मैनपाट के सात से अधिक गाँवों में अब तक सड़क नहीं बनी है। राज्य और केंद्र सरकार की करोड़ों रुपये की योजनाओं के बावजूद, बुनियादी सुविधाएँ अब भी अधूरी हैं। इन क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को समय पर चिकित्सा सुविधा न मिलने के कारण जान का ख़तरा बना रहता है।
मानव अधिकार।आयोग ने भी जारी की नोटिस
इस संवेदनशील मामले को गम्भीरता से लेते हुए छत्तीसगढ़ मानव अधिकार आयोग, रायपुर ने 18 सितंबर 2024 को
सरगुजा कलेक्टर को नोटिस जारी करते हुए आयोग ने निर्देश दिया कि आवेदन के संदर्भ में की गई कार्रवाई की विस्तृत रिपोर्ट 15 दिनों के भीतर आयोग को भेजी जाए। आयोग ने इसे मानव अधिकार उल्लंघन का गंभीर मामला मानते हुए जिला प्रशासन को तत्काल प्रभाव से जाँच करने के निर्देश दिए हैं।
दो दिन बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग में होगी सुनवाई
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एन.सी.एस.टी.) ने कलेक्टर सरगुजा को नोटिस जारी कर कहा है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 338 क के अधीन प्रदत्त शक्तियों के अनुसरण में उक्त उल्लिखित प्रकरण का अन्वेषण करने का निश्चय किया है। अंतर सिंह आर्य, माननीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने इस प्रकरण मे अन्वेषण, जांच की जाने वाली कार्रवाई के लिए आयोग मुख्यालय में 17 अक्टूबर 2025 को सुनवाई निर्धारित की है। उक्त निर्धारित तिथि एवं समय पर उक्त मामले से संबंधित संपूर्ण तथ्यों एवं सभी संगत मूल अभिलेखों, दस्तावेजों के साथ व्यक्तिगत रूप से अध्यक्ष के समक्ष परीक्षण के लिए उपस्थित होना सुनिश्चित करें। यदि आप बैठक में उपस्थित नहीं होते है तो आयोग के समक्ष आपकी उपस्थिति को बाध्यकारी बनाने के लिए, आयोग भारत के संविधान के अनुच्छेद 338 क के खंड (8) क के अधीन प्रदत्त सिविल न्यायालय की शक्तियों का प्रयोग करने के लिए स्वतंत्र है।
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