जशपुर। छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में पुलिस ने 6 करोड़ की ठगी करने वाले 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपी फर्जी ट्रेडिंग कंपनी बनाकर ग्रामीणों और किसानों को आकर्षक ब्याज देने के लालच में फंसाते थे। मुनाफे की लालच में ग्रामीणों ने अपनी जीवनभर की जमा पूंजी गंवा दी है। ठगों ने किसानों और ग्रामीणों को जमकर लूटा है।
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फर्जी ट्रेडिंग कंपनी चलाने वाले ठगों ने किसानों और लोगों के बीच साख बनाने के लिए शुरुआत में निवेश करने वालों को पैसे भी मिले। जब लोगो झांसे में आ गए और रुपये निवेश करने लगे तब रुपए मिलने बंद हो गए। तब लोगों को ठगी का एहसास हुआ। जांच में पता चला कि ठगों ने निवेशकों के नाम से ही कंपनी का रजिस्ट्रेशन करा दिया। इसके अलावा निवेशकों को ही कंपनी का डायरेक्टर भी बना दिया था।
करोड़ों की ठगी करने के बाद कंपनी ने अपनी वेबसाइट बंद कर दी। मामला पत्थलगांव थाना क्षेत्र का है। पुलिस ने जैजेपुर के हरिशरण देवांगन (52) और जांजगीर-चांपा निवासी संतोष कुमार साहू (46) को गिरफ्तार किया है। ठगी के और भी आरोपी फरार हैं।

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ऐसे हुआ ठगी का भंडाफोड़
पत्थलगांव के रहने वाले जागेश्वर लाल यादव ने 17 अक्टूबर को थाने में शिकायत दर्ज कराई। उसने बताया कि 2023 में एक कंपनी के प्रतिनिधि ने होटल मान्या में बैठक आयोजित कर निवेश का झांसा दिया था। आरोपी संतोष कुमार साहू ने खुद को “सी बुल्स ग्लोबल सॉल्यूशन कंपनी” का प्रतिनिधि बताया। दावा किया कि कंपनी एक कृषि प्रोडक्ट आधारित प्लांट स्थापित कर रही है, जिसमें निवेश करने पर प्रतिदिन 1% ब्याज मिलेगा। रकम जमा करने वालों को शुरुआती महीनों में ब्याज मिलने के कारण ग्रामीणों का विश्वास बढ़ता गया। ब्याज के रूप बड़ी धन राशि मिलने की लालच में अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा निवेश कर दिया। लेकिन कुछ समय बाद ब्याज मिलना बंद हो गया। जब ग्रामीणों व किसानों ने पूछताछ की, तो उन्हें कंपनी के एमडी मोहम्मद सिराज आलम से मिलवाया गया।
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निवेशकों को झांसा देते हुए कहा कि कंपनी “एग्रीकल्चर बेस” नहीं बल्कि “ट्रेडिंग कंपनी” है और सेबी में रजिस्टर्ड है। शुरुआती कुछ महीनों तक इस स्कीम के तहत निवेशकों को उनके ही पैसे से ब्याज दिया गया, जिससे लोगों का विश्वास और बढ़ा। जैसे ही नए निवेशक जुड़ना बंद हुए, कंपनी ने ब्याज देना बंद कर दिया और वेबसाइट भी बंद कर दी। इसके बाद कंपनी के सभी पदाधिकारी फरार हो गए।
छत्तीसगढ़ के कई जिलों में फैला था ठगी का जाल
जांच में खुलासा हुआ है कि आरोपियों ने कोरबा, चांपा, अंबिकापुर, बिलासपुर समेत कई जिलों में मीटिंग कर ग्रामीणों को निवेश के लिए प्रेरित किया। उन्होंने गारंटी के तौर पर चेक दिए और सेबी में रजिस्टर्ड होने का झूठी जानकारी भी दी। निवेशकों से आधार कार्ड, पैन कार्ड और हस्ताक्षर भी लिए गए, जिन्हें बाद में एक नई कंपनी “सी बुल्स सहयोग निधि रियल एस्टेट एंड फाइनेंस लिमिटेड” के डायरेक्टर बनाकर इस्तेमाल किया गया, ताकि कानूनी झमेले में ना फंसे।
इन्होंने किया लाखों रुपये निवेश, डूबी रकम
शिकायतकर्ता जागेश्वर यादव ने 1.80 करोड़ रुपए, लक्ष्मण केशवानी ने 95 लाख, कमलेश यादव ने 10 लाख, भूषण पटेल ने 33 लाख, डॉ. पीताम्बर साय ने 25 लाख और राजेश देवांगन ने 15 लाख रुपए निवेश किए। निवेश के बाद निवेशकों ने जब रकम वापस मांगी तो ठगों ने दूसरी चाल चली। 2024 में ओडिशा के सुंदरगढ़ में ठगों ने मीटिंग बुलाई। उसके बाद हेल्थ इंश्योरेंस कार्ड और रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स के नाम पर निवेशकों के आधार कार्ड, पैन कार्ड और हस्ताक्षर ले लिए। बाद में कंपनी ने अपनी वेबसाइट बंद कर दी है।
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दो गिरफ्तार, भेजा जेल
पुलिस ने जांजगीर-चांपा और सक्ती में दबिश दी। जहां से हरिशरण देवांगन और संतोष कुमार साहू को गिरफ्तार किया। पूछताछ में आरोपियों ने अपराध स्वीकार किया। दोनों के खिलाफ धारा 420, 120 (B), और 34 के तहत मामला दर्ज कर कोर्ट में पेश किया। जहां से उन्हें न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया है।








