बिलासपुर। शिक्षा विभाग में फर्जी मेडिकल बिल घोटाला सामने आया है। 4 लाख के बिल को कूटरचना कर 40 लाख का बनाने वाले बिल्हा ब्लाक के दो तत्कालीन बीईओ इस मामले में दोषी पाए गए हैं। जेडी ने जांच रिपोर्ट के बाद कार्रवाई की अनुशंसा करते हुए डीपीआई को पत्र लिखा है।
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फर्जी मेडिकल रीइम्बर्समेंट घोटाले की जांच में बिल्हा ब्लॉक के दो तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी BEO रघुवीर सिंह राठौर और सुनीता ध्रुव का नाम सामने आया है। दोनों अधिकारियों ने वास्तविक बिल राशि से कई गुना अधिक राशि के आहरण का प्रस्ताव बनाकर भेजा था। मामले की जांच पूरी होने के बाद संभागीय संयुक्त संचालक ने दोनों अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई के लिए डीपीआई को पत्र लिखा है।
जांच रिपोर्ट के अनुसार बिल्हा ब्लॉक से कुल 39 लाख 68 हजार 281 रुपए का फर्जी बिल बनाया गया था। वास्तविक बिल 4 लाख 14 हजार 891 रुपए का ही था। 4 लाख के बिल को कूटरचना कर35 लाख 53 हजार 390 रुपये का बना दिया। जांच रिपोर्टके अनुसार तत्कालीन बीईओ रघुवीर सिंह राठौर ने 9 लाख 82 हजार 891 रुपए का बिल पास किया था। जांच में सामने आया कि वास्तविक बिल मात्र 82 हजार 891 रुपए का था। तकरीबन 9 लाख रुपए की अतिरिक्त राशि का भुगतान फर्जी मेडिकल रीइम्बर्समेंट बिल के रूप में कर दिया गया। रघुवीर सिंह राठौर वर्तमान में डीईओ कार्यालय में सहायक संचालक के पद पर पदस्थ हैं।
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फर्जी बिल पर ट्रेजरी में लगा ब्रेक
तत्कालीन बीईओ और वर्तमान एबीईओ सुनीता ध्रुव ने 29 लाख 85 हजार 390 रुपए का बिल आबंटन के लिए डीईओ कार्यालय फाइल भेजा था। जब जांच की गई तब पता चला कि ओरिजिनल बिल मात्र 3 लाख 32 हजार रुपए का था। तकरीबन 26 लाख 53 हजार 390 रुपए अधिक का बिल बनाया गया था। शिकायत मिलने पर समय रहते बिल की प्रक्रिया रोक दी गई, जिससे इस बिल का भुगतान नहीं हो पाया। सुनीता ध्रुव का कहना है कि हॉस्पिटल से प्राप्त बिलों के आधार पर हस्ताक्षर किए गए थे। ट्रेजरी में भेजने से पहले शिकायत मिलते ही बिल रोक दिया गया था, इसलिए भुगतान नहीं हुआ।
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शिक्षक नेता साधेलाल निकला मास्टर माइंड
मेडिकल बिल फर्जीवाड़ा में पौंसरा के संकुल समन्वयक व शिक्षक नेता साधेलाल और उसकी पत्नी को निलंबित किया गया है। गड़बड़ी और घोटाले की शुरुआत बिल्हा ब्लॉक के अंतर्गत पौंसरा संकुल के समन्वयक साधेलाल पटेल से हुई। उन्होंने खुद और अपने परिजनों के नाम पर फर्जी मेडिकल बिल प्रस्तुत कर लाखों रुपए की रीइम्बर्समेंट राशि सरकारी खजाने हड़प ली। जांच में आरोप सही पाए जाने पर जेडी ने साधेलाल पटेल और उनकी पत्नी राजकुमारी पटेल को निलंबित कर दिया है। पटेल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए सिटी कोतवाली थाने में दस्तावेज भेजे गए हैं। हालांकि, अभी तक पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की है।
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- साधेलाल ने दूसरे के मेडिकल बिल में किया कूटरचना
- पौसरा के संकुल समन्वयक व शिक्षक नेता।साधेलाल पटेल ने असीम वर्मा के बिल को टेप से उखड़कर अपना नाम लिख दिया। अपने नाम से 77 हजार की जगह 773564 रुपए का बिल पास कराया। दूसरा बिल असीम वर्मा के नाम है। 1 लाख 43 हजार की जगह उमाशंकर चौधरी का 542535 बिल पास किया गया है।
- साधेलाल की पत्नी और बैमा स्कूल की हेड मास्टर राजकुमारी पटेल के नाम से 47 हजार की जगह 403327 बिल पास कराया गया था। दूसरा बिल राजकुमारी पटेल के नाम से है, जिसमें 33 हजार की जगह 732841 पास किया गया। तीसरा बिल राजकुमारी पटेल, शास.प्रा.शा. बैमा 40947 की जगह 240947 रुपए का बिल पास कराया गया।
- नरेन्द्र कुमार चौधरी प्रा.शा स्कूल बिजौर का 32 हजार की जगह 533123 पास किया गया। स्व. नरेन्द्र कुमार चौधरी, सहायक शिक्षक, प्राथमिक शाला बिजौर 33123 की जगह 433123 रुपए का बिल पास कराया। स्व. नरेन्द्र कुमार चौधरी का ही 8821 की जगह 308821 रुपए का बिल पास कराया गया।








