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ऐसी पुलिस किस काम की

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ऐसी पुलिस किस काम की, तभी तो टाप टू बॉटम सफाया
पुलिस डिपार्टमेंट का जाना पहचाना स्लोगन है, देशभक्ति और जनसेवा। इन दो स्लोगन से पुलिस अपना कामकाज करती है। समय के साथ इसमें बदलाव आने लगा है। महासमुंद जिले में एक थाना ऐसा भी है जहां के पुलिस वालों को इस स्लोगन से लेना-देना ही नहीं है। परवाह की बात को तो छोड़ ही दीजिए। छत्तीसगढ़ को तो छोड़िए ओड़िशा तक इन पुलिस वालों के नाम के चर्चे हो रहे हैं। एक हिन्दी फिल्म के चर्चित गाना है, जो है नाम वाला वही तो बदनाम है। यहां तो नाम ही बदनामी ही बदनामी और बदनियत से किया गया काम ही सामने है। तभी तो नाराज एसपी ने टीआई सहित पूरे स्टाफ को ही साफ कर दिया है। थाने की ऐसी सफाई छत्तीसगढ़ में तो पहली बार दिखा है। उम्मीद करते है, सफाई के बाद थाने में सब-कुछ ठीक रहेगा। गाय खरीदने वालों को झूठे मामले में नहीं फंसाएंगे और 60 हजार की वसूली अब नहीं होगी। जिले में दो थाने हैं, तीन-तीन अक्षर वाले। बलौदा और पटेवा। यहां के पुलिस वालों की बात ही अलग है। एक थाने के पुलिस वालों ने गाय खरीदने आए ओड़िशा से छत्तीसगढ़ पहुंचे किसानों से लंबा चौड़ा वसूली कर ली तो दूसरे थाने के चार कांस्टेबलों ने गांजा तस्कर से दोस्ती कर ली। दोस्ती करने वालों को सजा तो मिली पर खाकी दागदार हुआ उसका क्या।

भाजपा में ऐसा तो पहले कभी नहीं हुआ
चुनावी मौसम में कांग्रेस को लेकर कुछ हो या ना हो,एक बात की चर्चा जरुर होती है और पार्टी वर्कर से लेकर पब्लिक यह जरुर कहती है,टिकट बी फार्म भरने के आखिरी समय तक ही आएगा। ये कांग्रेस है। कुछ भी हो सकता है। इस चर्चा में दम कितना रहता है ये तो आप जाने, इतना तय है कि कांग्रेस की सियासत और कार्यकर्ताओं के बीच चार्मिंग अब भी उसी अंदाज में कायम है, तभी तो टिकटों की दौड़ में दावेदारों की कतार नहीं रेला लगा रहता है। कांग्रेस का जिक्र कर हम भूमिका बांध रहे थे, भाजपा के बारे में लिखने की। बात बिलासपुर से ही करें तो ज्यादा अच्छा रहेगा। बिलासपुर में अब संगठन के नजरिए से दो जिला हो गया है। बिलासपुर शहर जिला और बिलासपुर ग्रामीण जिला। ठीक कांग्रेस की तर्ज पर। बात हो रही थी नए जिलाध्यक्षों की टीम की। टीम बनाने के लिए मंडलों से तो नाम मांगे ही गए थे, विधायक,पूर्व विधायकों से भी लिस्ट मांगी गई थी। अपनो को एडजस्ट करने लिस्ट दे भी दिया था। जब दोनों जिलों की टीम बनी तो लिस्ट देने वाले अवाक रह गए। मंडल वालों को तो डिब्बा गोल हुआ ही,दिग्गजों की लिस्ट भी सरका दी गई। पार्टी कार्यकर्ता ही बोलने लगे हैं, ये तो वो भाजपा नहीं जिसे हम जानते हैं और पहचानते हैं। ऐसा तो इसके पहले कभी नहीं हुआ। ऐसा इग्नोर इसके पहले कभी नहीं किया गया। सूची को छोड़िए, कांग्रेसी भी अब जिले की टीम में हंसते मुस्कराते नजर आ रहे हैं। सीनियर्स को आह भरते भी हमने सुना, हे राम अब क्या होगा और क्या होगा।

भाग्य के सहारे जो मिल जाए वही सही
पांच साल पीछे चलते हैं। 2018 का विधानसभा चुनाव का रिजल्ट, राजकुमार कॉलेज में नए नवेले कांग्रेस विधायकों की भीड़। टीएस के लिए लॉबिंग। दिल्ली तक संदेश पहुंचाने की पूरी कोशिश। नए नवेले विधायकों की भीड़ में बिलासपुर के भी कुछ चेहरे शामिल थे। पहले दिन राजकुमार कालेज की लाॅबिंग से लेकर पूरे पांच साल तक बाबा साहेब के साथ रहने वाले पंडित जी को सियासत में काफी नुकसान उठाना पड़ा था। सत्ताधारी दल के एमएलए होने के बावजूद विपक्षी जैसा व्यवहार। ऐसी हालत पूरे पांच साल रही। ना पुलिस लाइन में झंडा फहराने का मौका मिला और ना ही कांग्रेस के सियासत में वैसा भाव। बाबा साहेब के साथ रहना उनके लिए तो घाटे का सौदा हो ही गया था। सियासत बदली, सत्ता गई और इधर पंडित जी की कुर्सी भी चली गई। एमएलए से एक्स एमएलए हो गए। कहावत है ना, दूध का जला छाछ को भी फूंक-फूंक कर पीता है। हो भी वही रहा है। तभी तो पंडित जी अब भैयाजी लोगों के साथ नजर आ रहे हैं। प्रदेश में सियासी समीकरण बदला और रुलिंग ग्रुप पावरफुल हो गया तब क्या होगा। इसे भाग्य पर छोड़ देते हैं।

ड्रग स्पलायर और सियासी ताल्लुकात
छत्तीसगढ़ में इन दिनों सबसे हाट टापिक कहें या फिर टाकिंग पाइंट, इंटिरियर डकोरेटर व ड्रग सप्लायर ही है। पुलिस ने सप्लायर की हमराज को भी निशाने पर लिया है। राज पर राज खुलते जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट और चर्चा पर गौर करें तो छत्तीसगढ़ के बड़े शहरों में सप्लायर रानी की तगड़ी और सीधे पहुंच की कहानी सुनाई जा रही है। शराब ठेकेदार से लेकर एमएलए और एक्स एमएलए। एमएलए पुत्र की भी चर्चा हो रही है। ये सारे नाम अभी हाइड रखे गए हैं। पब्लिक डोमेन में ये नाम नहीं आया है। जितनी मुंह उतनी बातें। लोग अंदाजा तो लगा ही रहे हैं। सफेदपोश कब बेनकाब होंगे ये तो जांच एजेंसी और अफसर जाने। जो नाम पब्लिक डोमेन में हाइड है, उनके बीच सब बेपर्दा। सफेदपोश से लेकर शराब ठेकेदार, एमएलए से लेकर एक्स एमएलए, एक्स मिनिस्टर सभी। आप और हम मैथ्स पढ़ते हैं। मान लेते हैं, नाम पब्लिक डोमेन पर आ गया तब क्या होगा। कितने राजनेताओं के करियर पर बट्टा लगेगा। करियर तो चौपट होगा ही इंटिरियर डेकोरेटर कम सप्लायर के साथ लाल बंगला में भी ये सभी नजर आएंगे।

थर्ड अंपायर
– इंटिरियर डेकोरेटर कम ड्रग सप्लायर ने अगर अपना मुंह खोल दिया तब क्या होगा। छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूचाल तो आएगी,इसकी चपेट में कौन-कौन आएंगे। राजधानी से लेकर न्यायधानी के राजनेता के नाम भी हैं लाल डायरी में।
– पूर्व मंत्री रविंद्र चौबे को पीसीसी अध्यक्ष के सामने बंद कमरे में माफी क्यों मांगनी पड़ी, नेता प्रतिपक्ष डा चरणदास महंत ने चमचे की बात क्यों की। किसी ने पूछा क्यों नहीं,उनके अपने कितने चमचे हैं। उनमें से कितने सांप और कितने बिच्छू। कितने कोबरा और कितने किंग कोबरा।


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