दिल्ली। एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के डिवीजन बेंच ने जांच एजेंसियों से साफ कहा कि विशेष कानूनी प्रावधानों के तहत अगर बिना वारंट तलाशी लेने की जरुरत पड़ती है तो तलाशी के लिए कारणों का खुलासा करना होगा। स्पष्ट कारण बताने होंगे,आखिर किन कारणों और परिस्थितियों के चलते वारंट नहीं लिया गया और सीधेतौर पर तलाशी की जरुरत पड़ गई।
मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में कहा कि अगर किसी विशेष कानून के तहत जांच एजेंसियों को बना वारंट तलाशी की जरुरत पड़ती है तो इसके लिए समुचित कारण बताना होगा। यह अनिवार्य शर्त में से एक है। बेंच ने
दंड प्रक्रिया संहिता CrPC की धारा 165 BNSS की धारा 185 का हवाला देते हुए कहा कि अगर बिना वारंट के तलाशी ली जाती है तो संबंधित जांच एजेंसी के अधिकारी को लिखित में कारण बताने होंगे। तलाशी के लिए अपराध से संबंधी सामग्री होने का विश्ववास क्यों है और अर्जेंट तलाशी की जरुरत क्यों पड़ी। इन दो कारणों का विस्तृत खुलासा करना पड़ेगा।
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CrPC के प्रावधान का पालन करना अनिवार्य
डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में कहा, कानूनी माप अधिनियम, सीमा शुल्क, आयकर, केंद्रीय उत्पाद शुल्क, एनडीपीएस व जीएसटी जैसे विशेष कानूनों में तलाशी और जब्ती के लिए CrPC के तहत दिए गए प्रावधानों का पालन करना अनिवार्य है। बेंच ने साफ कहा, तलाशी का कारण अनुमान या फिर संदेह पर आधारित नहीं होना चाहिए। ऐसी तलाशी के लिए ठोस आधार होने चाहिए। बेंच ने यह भी कहा कि तलाशी के दौरान मिल सामग्री की जब्ती करते समय जांच एजेंसी के अधिकारी को लिखित में कारण दर्शाने होंगे कि उसने जिन सामग्रियों की जब्ती बनाई है उस पर सही तरीके से विचार किया गया है।
तलाशी और जब्ती को सुप्रीम कोर्ट ने ठहराया अवैध
सुप्रीम कोर्ट के डिवीजन बेंच ने पाया, बिना वारंट और लिखित कारणों का दर्शाए बिना ही जांच एजेंसियों ने तलाशी की और सामग्री की जब्ती बनाई। बेंच ने कहा, इस पूरी प्रक्रिया में कानूनी मापविज्ञान अधिनियम की धारा 15 और CrPC की धारा 165, 100 (4) व 100(5) का उल्लंघन हुआ। तलाशी के समय दो स्वतंत्र गवाह होना अनिवार्य था, लेकिन यहां निरीक्षण अधिकारी के ड्राइवर को गवाह बना दिया गया, जो क़ानून के विपरीत है। डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में कहा, जब तलाशी की शुरुआत ही कानून सम्मत ना हेा तो आगे की पूरी कार्रवाई अवैध मानी जाएगी। डिवीजन बेंच ने जांच एजेंसी की तलाशी और जब्ती को अवैध ठहराया है।








