रायपुर। छत्तीसगढ़ में दो हजार करोड़ रुपये के शराब घोटाले और काेल स्कैम में EOW ने आज बड़ी कार्रवाई शुरू की है। छत्तीसगढ़ के 10 अलग-अलग जगहों पर ईओडब्ल्यू की टीम ने एकसाथ छापामार कार्रवाई शुरू की है। घोटाले से जिन लोगों के तार जुड़े हुए हैं, उन सभी संभावित ठिकानों पर जांच एजेंसी के अफसरों ने दबिश दी है। समाचार लिखे जाने तक कार्रवाई जारी है।
मिली जानकारी के अनुसार, EOW की टीम ने रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, जांजगीर चांपा में कई शराब और कोयला कारोबारी के ठिकानों पर दबिश दी है। EOW की टीम ने बिलासपुर में कोयला घोटाला मामले में छापा मारा है। रायपुर के देवनगरी स्थित शराब कारोबारी अवधेश यादव के घर पर भी EOW की टीम ने दबिश दी है और जांच कर रही है। बताया जा रहा है कि, EOW की टीम ने रायपुर में 3 से 4 ठिकानों समेत प्रदेश में 10 ठिकानों पर छापा मारा है और सभी जगहों पर कार्रवाई जारी है। जांजगीर चांपा जिले के अकलतरा में भी ईओडब्ल्यू की छापामार कार्रवाई चल रही है। जानकारी के अनुसार कांग्रेस शासनकाल में सीएम सचिवालय में जुगाड़ के दम पर पहुंच सहायक ग्रेड टू कर्मचारी के निवास पर भी आज तड़के एसीबी ने दबिश दी। एसीबी के अफसर दस्तावेज खंगाल रहे हैं। जानकारी के अनुसार कर्मचारी का बेटा कोयले के कारोबार करता है। सीएम सचिवालय में अटैच होने के बाद कोयले के कारोबार में कमाई को लेकर जांच एजेंसियों ने पड़ताल करना शुरू कर किया है।
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पढ़िए क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ED जांच कर रही है। ED ने ACB में FIR दर्ज कराई है। दर्ज FIR में 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था। जांच एजेंसी ने आरोप पत्र में कहा है कि आबकारी विभाग में भ्रष्टाचार फरवरी 2019 से शुरू हुआ था।
फरवरी 2019 में बना था सिंडिकेट
कारोबारी अनवर ढेबर ने सिंडिकेट बनाने के लिए फरवरी 2019 में जेल रोड स्थित होटल वेनिंगटन में प्रदेश के 3 डिस्टलरी मालिकों को बुलाया। इस मीटिंग में छत्तीसगढ़ डिस्टलरी से नवीन केडिया, भाटिया वाइंस प्राइवेट लिमिटेड से भूपेंदर पाल सिंह भाटिया और प्रिंस भाटिया शामिल हुए।
वेलकम डिस्टलरी से राजेंद्र जायसवाल उर्फ चुन्नू जायसवाल के साथ हीरालाल जायसवाल और नवीन केडिया के संपर्क अधिकारी संजय फतेहपुरिया पहुंचे।मीटिंग में इनके अलावा एपी त्रिपाठी और अरविंद सिंह भी मौजूद थे। मीटिंग में अनवर ढेबर ने तय किया कि डिस्टलरी से जो शराब सप्लाई की जाती है, उसमें प्रति पेटी कमीशन देना होगा। कमीशन के बदले रेट बढ़ाने का आश्वासन डिस्टलरी संचालकों को दिया गया। पैसे का हिसाब-किताब करने के लिए आरोपियों ने पूरे कारोबार को ए, बी और सी पार्ट में बांटा। शराब की दुकान संचालकों को सरकारी कागजों पर शराब की खपत दर्ज न करने की सलाह दी गई थी। बिना शुल्क चुकाए दुकानों तक डुप्लीकेट होलोग्राम वाली शराब पहुंचाई गई।
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2 हजार 174 करोड़ में किसे कितना मिला
- नेता-मंत्रियों को: 1,392 करोड़ 45 लाख 39 हजार
- 3 शराब डिस्टलर्स: 358 करोड़ 65 लाख 32 हजार
- अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा: 181 करोड़ 52 लाख 85 हजार
- आबकारी विभाग: 90 करोड़ 76 लाख 42 हजार 500
- जिला आबकारी अधिकारी शराब दुकान के कर्मचारियों को: 90 करोड़ 76 लाख 42 हजार 500
- विकास अग्रवाल और अरविंद सिंह को: 60 करोड़ 50 लाख 95 हजार
छत्तीसगढ़ के इन जिलों में नकली होलोग्राम शराब की होती थी खपत
रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, राजनांदगांव, कबीरधाम, बालोद, महासमुंदधमतरी, बलौदाबाजार, गरियाबंद, मुंगेली, जांजगीर-चांपा, कोरबा, बेमेतरा, रायगढ़।
ऐसे हुई थी अवैध शराब बेचने की शुरुआत
शुरुआत में डिस्टलरी से हर महीने 800 पेटी शराब से भरे 200 ट्रक निकलते थे। एक पेटी 2840 रुपए में बिकती थी। उसके बाद, हर महीने 400 ट्रक शराब की आपूर्ति होने लगी। शराब 3,880 रुपए प्रति पेटी बेची गई। EOW की शुरुआती जांच में पता चला है कि 3 साल में 60 लाख से।शराब 3,880 रुपए प्रति पेटी बेची गई। EOW की शुरुआती जांच में पता चला है कि 3 साल में 60 लाख से ज़्यादा पेटी शराब अवैध रूप से बेची गई।
सिंडिकेट के कोर ग्रुप में आरोपियों की भूमिका
अनिल टुटेजाः वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के संयुक्त सचिव थे। सिंडिकेट के संरक्षक की भूमिका में थे। अनवर ढेबर: होटल संचालक है। सिंडिकेट का गठन किया। पैसा किस तरह से कहां पहुंचेगा इसकी प्लानिंग की गई और सबका शेयर तय किया। एपी त्रिपाठी: कांग्रेस सरकार में CSMCL में एमडी थे। CSMCL में मैनपावर सप्लाई, कैश कलेक्शन, होलोग्राम सप्लाई और शराब परिवहन का काम अपने लोगों को दिलाया। विकास अग्रवाल: नकली होलोग्राम वाली शराब सप्लाई होने के बाद पैसा वसूलता था। अरविंद सिंह: पत्नी के नाम से खाली बोतल बनाने का प्लांट डाला। खाली बोतल, नकली होलोग्राम उपलब्ध कराया। पैसा कलेक्ट करने और शराब परिवहन की जिम्मेदारी थी। त्रिलोक सिंह ढिल्लनः पुराना शराब ठेकेदार है। होटल कारोबारी है। अपनी कंपनियों के माध्यम से पैसा इकट्ठा करवाया। अचल संपत्ति करके पैसों की खपत करवाई।
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शराब सिंडिकेट में किसकी क्या भूमिका
सिद्धार्थ सिंघानिया- सुपरवाइजर-कर्मचारियों से डुप्लीकेट होलोग्राम वाली शराब की बिक्री। बिक्री का पैसा कर्मचारियों के खाते में डलवाता था, फिर सिंडिकेट के सदस्यों तक पैसा पहुंचता था।
- विकास अग्रवाल – नकली होलोग्राम वाली शराब सप्लाई होने के बाद पैसा वसूलता था। अनवर ढेबर के बताए स्थानों पर पैसों की डिलीवरी करता था।
- अरविंद सिंह – पत्नी के नाम से खाली बोतल बनाने का प्लांट डाला। खाली बोतल, नकली होलोग्राम उपलब्ध कराया। पैसा कलेक्ट करने और शराब परिवहन की जिम्मेदारी थी।
- त्रिलोक सिंह ढिल्लन – पुराना शराब ठेकेदार है। होटल कारोबारी है। अपनी कंपनियों के माध्यम से पैसा इकट्ठा करवाया। अचल संपत्ति करके पैसों की खपत करवाई।
- विकास अग्रवाल – नकली होलोग्राम वाली शराब सप्लाई होने के बाद पैसा वसूलता था। अनवर ढेबर के बताए स्थानों पर पैसों को पहुंचाता था।
- सत्येंद्र प्रकाश गर्ग – नकली होलोग्राम वाली शराब बनाने के लिए बोतल सप्लाई।
- नवनीत गुप्ता – नकली होलोग्राम वाली शराब बनाने के लिए बोतल की सप्लाई।
- विधु गुप्ता – सिंडिकेट को डुप्लीकेट होलोग्राम सप्लाई।
- प्रकाश शर्मा – डिस्टलरी मालिकों को नकली होलोग्राम पहुंचाया।
- सोहन वर्मा – नकली होलोग्राम वाली शराब की राशि का कलेक्शन सिंडिकेट के लिए करता था।
- पीयूष बिजलानी -: नकली होलोग्राम वाली शराब की राशि का कलेक्शन सिंडिकेट के लिए करता था।
- नवीन केडिया – सिंडिकेट को शराब उपलब्ध करता था।
- भूपेंद्र पाल सिंह भाटिया – सिंडिकेट को शराब उपलब्ध कराता था।
- राजेंद्र जायसवाल – सिंडिकेट को शराब उपलब्ध कराता था।
शराब घोटाला केस में रिटायर्ड IAS की हुई थी गिरफ्तारी
2 दिन पहले ही शराब घोटाला केस में ACB-EOW ने शराब घोटाला में संलिप्तता के आरोप में दो दिन पहले रिटायर्ड IAS निरंजन दास को गिरफ्तार किया था। पूर्व आबकारी आयुक्त निरंजन दास कांग्रेस शासनकाल के दौरान आबकारी आयुक्त थे। रिटायर्ड आईएएस पर सिंडिकेट ऑपरेट करने में अहम भूमिका निभाने का आरोप है। घोटाले से उन्हें हर महीने 50 लाख मिलते थे।
शुक्रवार को निरंजन दास को रायपुर की ACB-EOW कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट के आदेश के अनुसार निरंजन दास 25 सितंबर तक EOW की रिमांड पर रहेंगे। EOW की जांच में सामने आया है कि, रिटायर्ड IAS निरंजन दास ने पूर्व IAS अनिल टुटेजा, तत्कालीन विशेष सचिव अरुणपति त्रिपाठी, कारोबारी अनवर ढेबर और अन्य के साथ मिलकर शराब घोटाले का सिंडिकेट खड़ा किया था। EOW के मुताबिक सिंडिकेट ने सरकारी शराब दुकानों में कमीशन तय करने, डिस्टलरियों से अतिरिक्त शराब बनवाने, विदेशी ब्रांड की अवैध सप्लाई कराने और डुप्लीकेट होलोग्राम के जरिए शराब बेचने जैसी गतिविधियों से राज्य सरकार को हजारों करोड़ का नुकसान पहुंचाया।
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पढ़िए क्या है छत्तीसगढ़ का कोल स्कैम
ED का दावा है कि छत्तीसगढ़ में कोयला घोटाला किया गया है। सिंडिकेट बनाकर 570 करोड़ की वसूली का दावा किया है। इस मामले में 36 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। ED का आरोप है कि कोयले के परिचालन, ऑनलाइन परमिट को ऑफलाइन करने समेत कई तरीकों से करीब 570 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध वसूली की गई है। छत्तीसगढ़ में अवैध कोल लेवी वसूली का मामला ईडी की रेड में सामने आया था। कोल परिवहन में कोल व्यापारियों से वसूली करने के लिए ऑनलाइन मिलने वाले परमिट को ऑफलाइन कर दिया गया था। खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक आईएएस समीर विश्नोई ने 15 जुलाई 2020 को इसके लिए आदेश जारी किया था। यह परमिट कोल परिवहन में कोल व्यापारियों से लिया जाता है। पूरे मामले का मास्टरमाइंड किंगपिन कोल व्यापारी सूर्यकांत तिवारी को माना गया। जो व्यापारी पैसे देता उसे ही खनिज विभाग से पीट और परिवहन पास जारी होता था। यह रकम 25 रुपए प्रति टन के हिसाब से सूर्यकांत के कर्मचारियों के पास जमा होती थी। कोल स्कैम से स्कैम कर कुल 570 करोड़ रुपए की वसूली की गई।
पूर्व मंत्रियों, विधायकों सहित 36 पर एफआईआर
छत्तीसगढ़ में कोयला घोटाले में ED की रिपोर्ट पर ACB, EOW ने दो पूर्व मंत्रियों, विधायकों सहित 36 लोगों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज की है। जिस पर अब ACB की टीम जांच कर रही है।
निलंबित IAS रानू साहू की 24 प्रॉपर्टी
FIR के अनुसार, 2015 से 2022 तक करीब 4 करोड़ की अचल संपत्ति खुद और परिवार के सदस्यों के नाम। 2022 में आयकर विभाग ने रानू साहू के सरकारी निवास और दफ्तर में छापा मारा। इसके बाद ED ने रानू साहू के घर छापा मारा था। कोरबा कलेक्टर रहते कोल लेवी में घोटाले और आय से ज्यादा संपत्ति का आरोप।
सौम्या चौरसिया की 29 अचल संपत्ति
पूर्व CM की उप सचिव रही सौम्या चौरसिया 2008 बैच की राज्य प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं। सौम्या नगर निगम बिलासपुर, अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) पाटन और कई शासकीय पदों पर रहीं हैं। दिसम्बर 2019 से नवम्बर 2022 तक मुख्यमंत्री कार्यालय में उप सचिव के पद पर थीं। सौम्या चौरसिया और परिवार के नाम 9.20 करोड़ की संपत्ति की पुष्टि EOW ने की।








