ग्वालियर। ग्वालियर शहर और आसपास कचरों के समुचित प्रबंधन ना होने के कारण कचरों के ढेर के चलते पर्यावरण को हो रहे नुकसान को लेकर दायर पीआईएल पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने नगर निगम ग्वालियर सहित जिला प्रशासन को क्लाइमेट कॉर्पोरेट रिस्पांसब्लिटी फंड बनाने की बात कही। इस तरह के फंड के जरिए कचरों का समुचित प्रबंधन करने और पर्यावरण को सुरक्षित रखने की काम करने की नसीहत दी।
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जनहित याचिका पर जस्टिस आनंद पाठक और जस्टिस पुष्पेंद्र यादव की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। बेंच ने ग्वालियर नगर निगम की रिपोर्ट व न्याय मित्र द्वारा दिए गए सुझावों को ध्यान में रखते हुए यह बातें कही। बेंच ने कहा कॉर्पोरेट क्लाइमेट रिस्पांसब्लिटी फंड CCR Fund बनाने की दिशा में गंभीरता के साथ विचार करने की जरुरत है। डिवीजन बेंच ने कहा, नगर निगम को CSR कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसब्लिटी और गैर-सरकारी संगठनों NGOs से डोर टू डोर कचरा संग्रहण के लिए वाहन प्राप्त करने की संभावना भी तलाशनी चाहिए। स्वचछता के संबंध में डिवीजन बेंच ने नगर निगम को जागरूकता कार्यक्रम चलाने का भी निर्देश दिया। कार्यक्रम के दौरान लोगों को शहर की समस्याओं और उनके समाधान के बारे में खुलकर बात करने के अलावा इस दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करने का निर्देश भी दिया। कोर्ट ने निगम आयुक्त को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि सभी अधिकारी अपने कर्तव्य का पालन करें और लापरवाही करने वालों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाए। डिवीजन बेंच ने कहा, अधिकारियों के मोबाइल फोन चौबीस घंटे चालू रहने चाहिए ताकि जनता की समस्याओं का समाधान किया जा सके।
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डिवीजन बेंच ने नगर निगम को ऑटो-रिक्शा, ई-रिक्शा चालकों और शहरवासियों खासकर युवाओं को ग्रीन वारियर्स के रूप में नियुक्त करने का निर्देश दिया। उनके अच्छे कार्यों की रिपोर्ट करने पर उन्हें सम्मानित करने की बात भी कही। न्याय मित्र ने डिवीजन बेंच को बताया कि ग्वालियर के आसपास कई उद्योग हैं। यदि वे CSR के तहत नगर निगम के साथ सहयोग करते हैं तो डोर टू डोर कचरा संग्रहण के लिए वाहनों की कमी को पूरा किया जा सकता है। जनहित याचिका की अगली सुनवाई के लिए डिवीजन बेंच ने 8 अक्टूबर की तिथि तय कर दी है।








