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पुलिस-कमिश्नर बनने की दौड़ में 4 IPS, एक नवंबर से आएगा अस्तित्व में?
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रायपुर। राजधानी रायपुर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने की प्रशानिक और शासन स्तर पर तैयारी तेज हो गई है। गृह विभाग ने सभी जरूरी प्रक्रियाएं और औपचारिकताओं को पूरा जर लिया है। कैबिनेट मीटिंग में इस प्रस्ताव पर अंतिम मुहर लगने की संभावना देखी जा रही है। माना जा रहै है, राज्य स्थापना दिवस जे दिन एक नवम्बर से रायपुर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू कर दी जाएगी।

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कमिश्नरी सिस्टम को लेकर गृह विभाग ने कुछ समय पहले पुलिस मुख्यालय PHQ से प्रतिवेदन मांगा था। इसके बाद ADG प्रदीप गुप्ता की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया। समिति में आईजी अजय यादव, आईजी अमरेश मिश्रा, डीआईजी ओपी पाल, एसपी अभिषेक मीणा और एसपी संतोष सिंह को शामिल किया गया था। समिति ने अलग-अलग राज्यों की पुलिस कमिश्नर प्रणालियों का अध्ययन कर गृह विभाग को प्रतिवेदन सौंप दिया है। कमेटी की रिपोर्ट पर अब कैबिनेट को निर्णय लेना है।

ये है कमेटी का सुझाव

  • एडीजी रैंक के अधिकारी को कमिश्नर बनाना।
  • आईजी रैंक का अधिकारी नियुक्त करना है।
  • डीआईजी रैंक के अधिकारी को कमिश्नर बनाना शीर्ष पद के चयन के आधार पर जॉइंट कमिश्नर, डिप्टी

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ऐसे तय होगा सेटअप

कमिश्नर और एसीपी की संख्या भी तय की जाएगी।शुरुआती प्रस्ताव के अनुसार, कमिश्नर से लेकर थाना प्रभारी (टीआई) तक लगभग 60 से ज्यादा अधिकारी इस नई व्यवस्था में काम करेंगे। कमेटी ने ओडिशा,मध्यप्रदेश,महाराष्ट्र, कर्नाटक में लागू सिस्टम का अध्ययन किया है।

कोलकाता से शुरू हुआ पुलिस कमिश्नर सिस्टम

1856 में ब्रिटिश हुकूमत के दौरान कोलकाता में लागू किया गया। इसके बाद 1866 में मुंबई और 1888 में चेन्नई (मद्रास) में इसे अपनाया गया। आजादी के बाद धीरे-धीरे बड़े शहरों में यह व्यवस्था लागू की जाने लगी।

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अपराध और काबू पाने लाया गया था यह सिस्टम

  • बड़े शहरों में आबादी और अपराध तेजी से बढ़ रहे थे।
  • पुलिस-मैजिस्ट्रेट सिस्टम अपराध नियंत्रण और कानून-व्यवस्था संभालने में नाकाम साबित हो रहा था।
  • ब्रिटिश सरकार ने पुलिस अधिकारियों को सीधे एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट जैसी पावर देने का निर्णय लिया।
  • इस सिस्टम का मकसद तेजी से फैसले लेने की क्षमता बढ़ाना और अपराध पर काबू पाना था।

मजिस्ट्रेट की तरह प्रतिबंधात्मक आदेश कर सकते हैं जारी

पुलिस कमिश्नर प्रणाली में कमिश्नर को कलेक्टर जैसे कुछ अधिकार मिलते हैं। वे मजिस्ट्रेट की तरह प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर सकते हैं। इससे कलेक्टर के पास लंबित फाइलें कम होती हैं। फौरन कार्रवाई संभव होती है। इस प्रणाली में पुलिस को शांति भंग की आशंका में हिरासत, गुंडा एक्ट, या राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) जैसी धाराएं लगाने का अधिकार मिलता है। होटल, बार और हथियारों के लाइसेंस जारी करने, धरना-प्रदर्शन की अनुमति, दंगे में बल प्रयोग और जमीन विवाद सुलझाने तक के निर्णय पुलिस स्तर पर लिए जा सकते हैं।
कमिश्नर को BNS के तहत मजिस्ट्रेट की शक्तियां मिलती हैं। कानून-व्यवस्था से जुड़े फैसले सीधे पुलिस स्तर पर लिए जा सकते हैं।

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ऐसे काम करेगा पुलिस कमिश्नर सिस्टम

ADG रैंक के सीनियर IPS को पुलिस कमिश्नर बनाकर तैनात किया जाता है। भोपाल जैसे शहरों पर IG रैंक के अधिकारी को पुलिस कमिश्नर की जिम्मेदारी दी गई है। महानगर को कई जोन में बांटा जाता है। हर जोन में डीसीपी की तैनाती होती है, जो एसएसपी की तरह उस जोन में काम करते हैं। सीओ की तरह एसीपी तैनात होते हैं। ये 2 से 4 थानों को देखते हैं।

कमिश्नर बनने की रेस में इन अफसरों के नाम की चर्चा

IPS संजीव शुक्ला

  • वर्तमान पद – बिलासपुर आईजी
  • छत्तीसगढ़ कैडर के 2004 बैच के आईपीएस हैं। मूलतः राजस्थान के रहने वाले हैं।
  • जिलों में कप्तानी के अलावा सीआईडी में प्रमुख जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।
  • सराहनीय सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार मिल चुका है।

IPS बद्री नारायण मीणा

  • वर्तमान पद – आईजी प्रशासन, पीएचक्यू
  • छत्तीसगढ़ कैडर के 2004 बैच के IPS हैं। मूलतः राजस्थान के रहने वाले हैं।
  • 9 जिलों में एसपी रहे। 3 महत्वपूर्ण रेंज के आईजी रहे हैं।
  • दुर्ग रेंज के 2 बार आईजी रहे हैं।
  • सराहनीय सेवाओं के लिए राष्ट्रपति द्वारा पदक प्रदान किया गया है।

IPS रामगोपाल गर्ग

  • वर्तमान पद – आईजी प्रशासन, PHQ
  • छत्तीसगढ़ कैडर के 2007 बैच के आईपीएस है। मूलतः पंजाब के रहने वाले हैं। 10 दिसंबर 2007 को आईपीएस ज्वॉइन किया। 2008 में राजनांदगांव जिले में प्रशिक्षु आईपीएस थे। गरियाबंद में 2011 में नक्सली हमले हुआ। इसके बाद उन्हें गरियाबंद जिले का एसपी बनाया गया।
  • 2015 में आईपीएस गर्ग केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर सीबीआई में एसपी के पद पर चले गए।
  • प्रतिनियुक्ति से छत्तीसगढ़ कैडर लौटने के बाद अंबिकापुर रेंज के आईजी बने। वर्तमान में दुर्ग आईजी हैं।

IPS अमरेश मिश्रा

  • वर्तमान पद – रायपुर रेंज आईजी, EOW-ACB चीफ
  • छत्तीसगढ़ कैडर के 2005 बैच के आईपीएस हैं। मूलतः बिहार के बक्सर के रहने वाले हैं।
  • बिलासपुर जिले में प्रशिक्षु आईपीएस रहे। पुलिस अधीक्षक के तौर पर पहली बार नारायणपुर जिले में पदस्थ हुए। इसके बाद दंतेवाड़ा, कोरबा, दुर्ग और रायपुर के एसपी रहे। रायपुर एसपी रहने के दौरान 2019 में नेशनल इन्विगेस्टकेशन एजेंसी में डेपुटेशन में एसपी बन कर चले गए। वहीं एसपी रहते हुए उनका डीआईजी और आईजी के पद पर प्रोफार्मा प्रमोशन हुआ। डेपुटेशन से छत्तीसगढ़ लौटने पर रायपुर
  • रेंज का आईजी बनाया गया।

IPS विजय अग्रवाल

  • 5 जिलों के एसपी रह चुके हैं। चुस्त पुलिसिंग के लिए जाने जाते हैं।

IPS डॉ लाल उमेद सिंह

  • वर्तमान पद – एसएसपी, रायपुर
  • स्टेट PSC के 1996 बैच के अधिकारी हैं।
  • शुरुआती दिनों में बस्तर में तैनाती हुई। इस दौरान 4 नक्सलियों को मार गिराया।
  • 2006 से 2015 तक एएसपी पद पर पद्दोन्नत होकर रायगढ़, कोरबा, रायपुर, दुर्ग में काम किया।
  • साल 2015 से 2017 तक पीएचक्यू में इंटेलिजेंस विंग में रहे।

IPS इंदिरा कल्याण एलिसेला

  • वर्तमान पद – एसएसपी रैंक
  • एलिसेला आंध्रप्रदेश के रहने वाले हैं।
  • 29 अगस्त 2011 को सर्विस ज्वॉइन की।
  • रायपुर जिले में प्रशिक्षु आईपीएस रहे हैं।
  • नक्सल विरोधी अभियान में अदम्य साहस के लिए गैलेंट्री अवॉर्ड मिल चुका है। 7 जिलों की कप्तानी संभाल चुके हैं।

IPS संतोष सिंह

  • 2011 बैच के IPS हैं।
  • 9 जिलों के कप्तानी संभाल चुके हैं।
  • अमेरिका का अंतरराष्ट्रीय आईएसीपी अवॉर्ड और चैंपियन ऑफ चेंज अवार्ड से नवाजे गए।

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